Wednesday, July 20, 2011

मेरी तमन्ना थी कभी ऐसा भी हुआ होता



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मेरी तमन्ना थी कभी ऐसा भी हुआ होता,
मेरी ग़ज़लों ने तुझे भी रुला दिया होता |
लौट आता फ़क़त तेरे लिए होता जहाँ भी,
बस तिरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता |


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Meri tamanna thi kabhi aisa bhi hua hota,
Meri GhazloN ne tujhe bhi rula diya hota.
laout aata faqat tere liye hota jahaN bhi
Bas tire laboN ne mera naam to liya hota.



____________हर्ष महाजन

Saturday, July 16, 2011

हमसे बिछुड के गर कभी वो सोया भी होगा

हमसे बिछुड के गर कभी वो सोया भी होगा
पर लम्हा-लम्हा याद कर वो रोया भी होगा

ज़ख़्मी किया है दिल मेरा खुद तड़पा भी होगा 
फिर नैनों को अश्कों ने भी भिघोया भी होगा

 हुए हैं लैब खामोश उनके अब सोचता हूँ मैं
पर  चंद लम्हे प्यार में  वो खोया भी होगा

दर्द से बढ़े हैं गम किस्मत में तन्हायी
नसीब में जब ख़ार,ख़ार बोया भी होगा

उदासी का सबब

मेरे होटों पे थिरकते हुए नगमों पे न जाओ
मेरे सीने में दफ़न कितने ज़ख्म कौन जाने
मेरे चेहरे पे दिखावे का नूर बहुत है लेकिन
मेरी आँखों मैं उदासी का सबब कौन जाने.

बे-रुखी

दुनिया की बे-रुखी से मैं परेशान नहीं हूँ
अपनों को भूल सकूं वो मैं इंसान नहीं हूँ
यूँ देखकर ओउरों के ज़ख्म हँसते थे जो लोग
अर्थी पे उनकी संग न कोई मैं हैरान नहीं हूँ

Wednesday, July 13, 2011

Shikwa

Meri kalam se nikla har lafz teri buniyad hila jata hai
Na chahte hue bhi aksar tujhe ye jaam pila jata hai
Yahi shikwa hai tujhko har waqt mujh se mere dost
Per tu bhi ik dard mujhe in shikwoN se dila jata hai

Sunday, July 10, 2011

ज़ख्म

उन रेत के दानों को, मैं इस कदर उडाता हूँ
पथरा गयी अखियों को ज़ार-ज़ार रुलाता हूँ
नासूर बना है जो ज़ख्म दिल के इक कोने में
कुछ इस तरह ये मरहम बार-बार लगाता हूँ

दुशमनी

मेरी गलतीयों को उसने नज़र-अंदाज़ किया है
शायद आज उसने मुझको बर्बाद किया है
खेल शतरंज का बछ्पन से खेला है उसने
आज दोस्ती निभाते, दुश्मनी का हिसाब किया है

Saturday, July 9, 2011

दोस्ती की पहचान

इक दोस्त की पहचान होना कोई आसान नहीं है
कुछ वक्त साथ निभाना भी कोई प्रमाण नहीं है
वैसे आंसू बहते देखे तो बहुत हैं अखियों से
वो खुशी के हैं या दर्द के कोई पहचान नहीं है

जुर्म

मेरी  हर सांस में तुम हर पल रहने लगी हो
फिर जुर्म ये उसे तुम ख्वाब कहने लगी हो

शिकायत

जुल्फों से तेरी मुझको शिकायत तो है बहुत
पर साये में इसके मेरी शामें गुजर रही हैं
हुस्न-ओ -जमाल देख कर घायल हुआ जमाना
 हर पल में यहाँ पे लाखों सलामें गुजर रही हैं
 
 

dosti/dushmani

मैं दोस्ती की खातिर दुश्मनों के संग रहा
बचा के अपना दामन कातिलों के संग रहा
कभी तो मिल सकेगा बहारों का काफिला 

 घायल हुआ था लेकिन खारों के संग रहा

Friday, July 8, 2011

कुछ इस तरह बिखरी हैं जुल्फें, उनकी पेशानी पर
 
उलझ चुके हैं लफ्ज़ मेरे,
उनके हुस्न की बयानी पर
चुप हैं वो, इस तरह,
ज्यूँ
गरजेंगे बादल, बे-पनाह
के अब गिरेगी
बिजलियाँ
किसी के आशिआने पर

Thursday, July 7, 2011

Intezaar

DiloN ke rishtoN meiN ab daraar aane lagi hai
Yaad karte haiN unhe per intezar khane lagi hai

Wednesday, July 6, 2011

Ek Ichha

Merii tehreeroN ko mitana itna asaaN nahiN
Ye mera yaqeeN hai koi dil ka GumaN nahiN

Chup zubaN se jo tumne chaha kader ki maine
Ye tere karmoN ka haasil hai mera imaaN nahiN

Dosti

maine dostoN ki khep kabhi bhaari nahiN ki
Unki taalika bhi kabhi yahaaN jaari nahiN ki
Mann meiN unke liye dard hai wafadari bhi
Rahi khoon me shamil par gaddari nahiN ki