Friday, August 5, 2011

ग़ज़ल
दर्द को कलम दे कोई
इतना भी आसान नहीं

उठे ज़लज़ला इस दिल में
ऐसा कोई तूफ़ान नहीं

छोड़ी न तलाश-ए-यार में
सर ज़मी कोई आसमान् नहीं

जला के दिल यूँ ख़ाक करे
बहारोँ में ऐसी कोई खिजां नहीं

निगाहें कह दें राज़-ए-दिल
अब ऐसी कोई फुगाँ नहीं

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