Friday, August 26, 2011

_____________दो दो लोकतंत्र



उठो साथियो आज हमें इक नया इतिहास बनाना है
अन्ना के इस लोकपाल को संविधान में लाना है |
लुट रहा है देश हमारा पहरेदार इसे लूट रहे
इक-इक करके इन चोरों को इनका मुकाम दिखाना है |

प्रजातंत्र की आड़ में जो तानाशाही हैं कर रहे
इनके चंगुल से हमने अब हिन्दुस्तान छुड़ाना है |
पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सब राजनैतिक दलों का निशाना है
लोकतंत्र के माध्यम से ही लोकतंत्र कब्ज़ाना है |

दो दो लोकतंत्र देश में आमने सामने लड़ रहे
पहचानों जन-लोकपाल संग, जो धीरे-धीरे बड रहे |
सत्ता मर्यादा खो रही है विपक्ष भी इसको ढो रही है
अन्ना के इस लोकपाल के राह में कांटे बो रही है |

उठो सवेरा हो गया है सरकारी मत सो गया है
इक-इक दिल में  नया बीज अब देश भक्ति का बो गया है
गर अन्ना जी का लोकपाल बिल संसद में चलवाना है
  इक इक नागरिक ये प्रण ले ले सत्याग्रह निभाना है |

____________हर्ष महाजन

2 comments:

  1. bahut khoob harash ji...
    उठो सवेरा हो गया है सरकारी मत सो गया है
    इक-इक दिल में नया बीज अब देश भक्ति का बो गया है
    kya baat kahi hai..

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