Thursday, December 1, 2011

मुझ से मेरे कर्मों की किताब न माँगा कीजिये

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Mujh se mere karmoN ki kitaab na maaNga keejiye

Be-wafayii toh kee par hisaab na maanga keejiye.

marey bhi toh kis se kya shikayat kareN ai 'Harash'
Jannat mili ya dojhakh ye jwaab na maaNga keejiye.



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मुझ से मेरे कर्मों की किताब न माँगा कीजिये
बे-वफायी तो की मगर हिसाब न माँगा कीजिये |

मरे भी तो किस से क्या शिकायत करें ए 'हर्ष'
जन्नत मिली या दोज़ख़ ये जवाब न माँगा कीजिये |


__________हर्ष महाजन

4 comments:

  1. वाह सर....बहुत खूब..
    "बे-वफायी तो की मगर हिसाब न माँगा कीजिये |"

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  2. अपने जुल्मों का हिसाब आज उसके पास नहीं
    अपने कर्मों की किताब आज उसके पास नहीं
    जख्म देने वाले से शिकायत करूँ भी तो कैसे
    मेरी किसी बात का जबाब आज उसके पास नहीं

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