Thursday, May 3, 2012

पा गया काबू मैं दिल के ख़तरात पर

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पा गया काबू मैं दिल के ख़तरात पर
जाम पे जाम जो ले रहा था रात भर ।
कैसा असर था उसका मेरे ज़हन पर
फख्र महसूस न कर तू इस खैरात पर ।

________________हर्ष महाजन ।

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