Monday, June 18, 2012

कितना फरक आ गया है अब तेरे मेरे जज्बातों में ऐ दोस्त

कितना फरक आ गया है अब तेरे मेरे जज्बातों में ऐ दोस्त
तूने शज़र से घर बनाया है मैंने शज़र इक नया लगाया है ।

__________________________हर्ष महाजन ।

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