Monday, December 30, 2013

ये कैसा अत्याचार हुआ इक बे-वफ़ा से प्यार हुआ,



ये कैसा अत्याचार हुआ इक बे-वफ़ा से प्यार हुआ,
जो अर्श से था फर्श तक विश्वास भी तार-तार हुआ ।
गुस्सा तुनकपन कड़वे बोल बोले थे उसने बिन ही तोल
इक था भरोसा साँसों का वो रिश्ता भी तलवार हुआ ।

_____________हर्ष महाजन

कैसी दहशत थी उसे जो मुझपर शौक आया



कैसी दहशत थी उसे जो मुझपर शौक आया ।
इक सैलाब, अश्कों का,मगर मैं रोक आया ।
वहशत थी और हैरत भी..उसकी  आँखों में,
कहा उसे,बस पलभर को,मैं परलोक आया ।

_____________हर्ष महाजन

Sunday, December 29, 2013

कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है


कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है,
तुम्हें तुमसे तो कुछ ज्यादा मेरा मजमून समझता है ।
अब दुनिया की तुम नज़रों से छुपाते क्यूँ हो अपने को ,
मुसीबत में मुझे हर शख्स अब अफलातून समझता है ।

________________हर्ष महाजन

Saturday, December 28, 2013

उनके कुछ दोस्त बने, जाने पता किस खातिर


उनके कुछ दोस्त बने, जाने पता किस खातिर,
तो फलक पर थी घटा छायी बता किस खातिर ।
जाने ये दुनिया क्यूं बदले है तवायफों की तरह,
यार बदले क्यूं बता.….ऐसी खता किस खातिर ।

______________हर्ष महाजन

किस तरह नफरत सँभाली है तेरी आंखों ने,



किस तरह नफरत सँभाली है तेरी आंखों ने,
आज बे-वफायी का आगाज़ हुआ है शायद ।
भूल न सका मैं वो शहर वो सफ़र वो मकान,
मेरी मोहब्बत को तेरी ये बद्दुआ है शायद ।

___________हर्ष महाजन

Friday, December 27, 2013

अपनी चाहत मैं बता दूं क्या सज़ा दोगे मुझे



अपनी चाहत मैं बता दूं क्या सज़ा दोगे मुझे,
तुझको चाहूंगा क्या नज़रों से गिरा दोगे मुझे । 

मैं मोहब्बत में ज़बर का नहीं कायल लेकिन,
मैं बता दूं तो क्या दिल से ही भुला दोगे मुझे ।

मैं तो डर के भी कभी राजे दिल बताता नहीं,
गर मैं कह दूं तो तमाशा ही बना दोगे  मुझे ।

अगर मैं छोड़ दूं दुनिया तेरी दुनिया के लिए,
छुड़ा के खुद को हँसी में क्या उड़ा दोगे मुझे ।

मैं हूँ मुज़रिम मुझे लगता है तेरी बातों से,
चला मैं जाऊँगा क्या फिर भी सज़ा दोगे मुझे ।

__________हर्ष महाजन

गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना


गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना,
ये दिल जो धड़के तेरे वास्ते……न तकसीम करना ।
तुम्ही को याद करके फिर.…....तुझे मैं तहरीर करूँ ,
तू दिल के पास बहुत…... कहना न मुतमईन करना ।

___________________हर्ष महाजन

मुतमईन–संतुष्ट

मैं जो बिछुड़ा तो सनम लौट कर न आऊंगा



मैं जो बिछुड़ा तो सनम लौट कर न आऊंगा,
तुझ से वादा है सफ़र... .छोड़ कर न आऊंगा ।
गर ज़िकर में भी कभी तेरा गम मिलेगा मुझे,
होके मायूस कसम….... तोड़ कर न आऊंगा ।

____________हर्ष महाजन

Thursday, December 26, 2013

कसूर था ज़मीर का, न मैं दर्द तक छुपा सका



कसूर था ज़मीर का, न मैं दर्द तक छुपा सका,
दगा दिया ज़मीर ने, न ज़मीर तक बचा सका ।

ये वलवालों की आग जो रूह तक निगल गयी,
हसरतों की आग न,  बता सका न बुझा सका ।

मैं ढूँढता रहा था उसके ……खौफ की इबारतें,
वो इस कदर ज़ुदा हुआ फिर दोस्त न बना सका ।

ये कैसा था अज़ाब..... मेरी ज़िंदगी बदल गया,
न दोस्त ही मैं बन सका न दोस्ती निभा सका ।

कुछ लोग बे-वफ़ा का मुझको रंजो गम दे गए,
मज़बूर था मैं कब्र में तोहमत न झुठला सका ।

_____________हर्ष महाजन
 

Wednesday, December 25, 2013

किसी के गम में यूँ रोने की तुझ में बात कहाँ



किसी के गम में यूँ रोने की तुझ में बात कहाँ ,
जो अश्क़ बन के न उतरे वो प्यार प्यार कहाँ ।
जो साथ हम से मिला था वो साथ खो भी लिए,
मगर जहां में अब मिलेगा मुझ सा यार कहाँ ।

________________हर्ष महाजन

Sunday, December 22, 2013

मैं वफ़ा कर न सका फिर भी बताया न गया



मैं वफ़ा कर न सका फिर भी बताया न गया,
आँख में अश्क़ बहुत मुझ से रुलाया न गया ।
हादसे बहुत हुए दिल पे ज़ख्म सह भी लिए,
मौत सदमे से हुई,  खुद को बचाया न गया ।

___________हर्ष महाजन

Saturday, December 21, 2013

बे-वफ़ा हम तो न थे तुमने ऐतबार न किया



बे-वफ़ा हम तो न थे तुमने ऐतबार न किया,
बा-वफाई का ज़िकर हमने बार-बार न किया ।

मुझको छोड़ा भी नहीं, मुझको चाहा भी कहाँ,
कैसे समझूँ कि तूने इश्की कारोबार न किया ।

मेरी कश्ती में बता दे कोई दरार कहाँ,
मुझे डूबना ही तो था फिर भी इंतज़ार न किया ।

अब सवालों की तरह मुझको देखे है क्यूँ भला ,
है मुक़द्दर क्या मेरा, कोई भी बीमार न किया ।

टुकड़ों टुकड़ों में तूने दिल में ज़हर छोड़ दिया,
'हर्ष' बा-वफ़ा ही रहा उसने ऐतबार न किया ।

___________हर्ष महाजन

तू परी है या हूर फिर क्या है अप्सरा


तू परी है या हूर फिर क्या है अप्सरा,
कब तलक दिल ये तुझको पुकारे बता ।
तेरे दिल का चमन तो है पत्थर सनम,
अब कौन तुझको फलक से उतारे बता ।

__________हर्ष महाजन

Wednesday, December 18, 2013

मैं जबसे तुझपे फिदा हुआ



मैं जबसे तुझपे फिदा हुआ,
बेकरार हूँ, मुझे क्या हुआ ।

मैं हैरान उठती चिंगारी से ,
मैं दीया था पर बुझा हुआ ।

तुझे पा के भी तनहा हूँ मैं ,
तू मिला तो है पर खुदा हुआ ।

क्यूँ जुनून मुझ पर तारी था ,
तुझे पाके भी फिर ज़ुदा हुआ ।

किस उम्मीद पर ज़िंदा हूँ मैं,
क्या कहूँ तू दुश्मन सदा हुआ ।

________हर्ष महाजन

मेरे हाथों से लकीरें भी हैं अब गिरने लगीं



मेरे हाथों से लकीरें भी हैं अब गिरने लगीं,
जाने तकदीर मेरी हद से क्यूँ गुजरने लगी ।

_____________हर्ष महाजन

Monday, December 16, 2013

मुझको वो शौक कहाँ, जो तेरी हद में नहीं है शामिल



मुझको वो शौक कहाँ, जो तेरी हद में नहीं है शामिल,
मुझको वो सितम ही बता दे कि तुझको मैं पा तो सकूं ।

___________________हर्ष महाजन

Sunday, December 15, 2013

मेरा इक-इक लफ्ज़ बीते लम्हों का साया है



मेरा इक-इक लफ्ज़ बीते लम्हों का साया है,
बहुत अज़ीज़ है हर ज़ख्म जो उनसे पाया है ।
उतर जाते हैं कभी-कभी अश्क़ इन आखों से,
याद आता जब दिया जाने किसने बुझाया है ।

_____________हर्ष महाजन 

Thursday, December 12, 2013

इक अर्से बाद मुझे शायरी का लुत्फ़ आया है



इक अर्से बाद मुझे शायरी का लुत्फ़ आया है,
हर शेर में उसके शायरी का गुण समाया है ।

ऊला में काफिया और सानी में हम क़ाफ़िया,
बड़ी खूबसूरती से उस पर रदीफ़ सजाया है ।

बहुत तालाश थी मुझे इक ऐसे कलम कार की,
जिसके पास ये ज़हीन तिलिस्मी सरमाया है ।

कितने भी हों ज़ख्म और कितना भी उसमे दर्द,
शायरी का इक टुकड़ा ही उसकी दवा का फाया है ।

कितना मुश्किल था 'हर्ष' ग़ज़ल तक का ये सफ़र,
न जाने कितने रदीफ़, क़ाफ़ियों को आज़माया है ।

_______________हर्ष महाजन

Wednesday, December 11, 2013

बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे

....

बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे,
अंगूर खट्टे हैं हाथ नहीं आने लगे ।
बा-मुश्किल बनाया था जो आशियाँ,
कर्मों के ज़लज़ले खुद उसे ढाने लगे ।

________हर्ष महाजन

अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा

....

अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा,
खुशी तो नहीं उसके क़फ़न की आस लगाता रहा ।
मोहब्ब्त भी की उसने तो फ़क़ीरों की तरह मगर,
बिखरा भी तो इस कदर कि उम्र-भर पछताता रहा ।

___________________हर्ष महाजन

Monday, December 9, 2013

बे-वफ़ा तो है ……


क्षणिका


कितनी
असरदार है तू !
बे-वफ़ा तो है ……
पर दिल में,
अभी भी
बरकरार है तू !!

__हर्ष महाजन

Saturday, December 7, 2013

भूख का ज़िंद से मैंने सौदा भी तो खूब किया



भूख का ज़िंद से मैंने सौदा भी तो खूब किया,
याद को दिल से जुदा कर ज़हर भी खूब पिया ।
भूल कर तनहा तो किया था मैंने ज़रूर उसको ,
मगर वो ज़ालिम थी उसके कहर में खूब जिया ।

___________हर्ष महाजन

कलम चली तो ग़ज़ल बनके वो मचलने लगी



 कलम चली तो ग़ज़ल बनके वो मचलने लगी,
लबों पे  मेरे वो रख लब... शराब पलटने लगी ।
जो देखी मैंने शरारत .....थी उसकी नज़रों में ,
गुनाह जो भी हुआ.... उससे वो बिखरने लगी ।

_____________हर्ष महाजन

Friday, December 6, 2013

उसके इरादे मुझे कुछ नेक नहीं लगते


उसके इरादे मुझे ...........कुछ नेक नहीं लगते,
इश्क़ तो है .....पर दिल दिमाग एक नहीं लगते ।
क्या समझूँ किसको महबूब समझने लगे हैं वो,
दबंग तो हैं, पर इरादो में हो विवेक नहीं लगते ।

________________हर्ष महाजन

Thursday, December 5, 2013

छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे

....

छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे,
मेरे अहसास बन अखियों से उतर जायेंगे ।
कब तलक दर्द से घायल मेरी पलकें होंगी,
फिर वो बन दरिया शहरों में बिखर जायेंगे ।

____________हर्ष महाजन

Wednesday, December 4, 2013

न शिकवा करता हूँ न गिला करता हूँ

------------जनम-दिन -----------

न शिकवा करता हूँ न गिला करता हूँ ,
रहे तू सलामत बस ये दुआ करता हूँ |

उलझन है तुझको दूँ क्या मैं तोहफा,
फूल तो कम है असूल अदा करता हूँ ।

नज़में कुछ ग़ज़लें इब्तदाई सफ़र की
बता दो कहो तुम वही ज़ुदा करता हूँ ।

तुम्हें ज़िन्दगी के सब हौंसिले मुबारक ,
जो अनछुए हैं जज़्बात वही अदा करता हूँ ।

जनम-दिन मुबारक जनम-दिन मुबारक

___________हर्ष महाजन

Monday, December 2, 2013

दिल में तस्वीर जो उसकी पर करूँ न मैं ज़िकर



दिल में तस्वीर जो उसकी पर करूँ न मैं ज़िकर,
उसकी मुस्कान पे निर्भर है मेरी ज़िंद का सफ़र ।
ऐ खुदा तेरा जहां तो .……  है चिरागों का मगर, 
मेरे साहिल के सिवा दुनियाँ में हैं सब ही सिफर ।

_______________हर्ष महाजन

तुझे चाहा था कभी मुझसे बताया न गया



तुझे चाहा था कभी मुझसे बताया न गया,
इश्क़ नासूर बना दिल में दिखाया न गया ।
मै जो तस्वीर लिए घूमा हुँ पलकों में सदा,
तुझे खो के भी तेरा अक्स मिटाया न गया ।  

__________हर्ष महाजन

Sunday, December 1, 2013

तेरी बातें हैं कुछ नदिया तो कुछ बातें समंदर हैं



तेरी बातें हैं कुछ नदिया तो कुछ बातें समंदर हैं,
मुझे इतना तू बतला दे तेरे दिल के क्या अंदर है ।
बहुत पूछा है दुनिया से मुझे पागल ही समझे वो,
मगर ये बात भी सच है ये पागल ही कलंदर है ।

_______________हर्ष महाजन

कुछ मीठे अल्फ़ाज़ों से, मशहूरियत का अंदाज़ा क्यूँ लगा लेते हैं लोग



कुछ मीठे अल्फ़ाज़ों से, मशहूरियत का अंदाज़ा क्यूँ लगा लेते हैं लोग,
शोहरत तो वो ज़ज्बा है जब चाहने वाले उनकी तहरीरों का पता देते हैं ।

_____________________हर्ष महाजन

आजकल अस्त-व्यस्त हो रहा हूँ मैं

!!!!!!-----मेरी फेसबुक----!!!!!!

आजकल अस्त-व्यस्त हो रहा हूँ मैं ,
शायद खुद में.....मस्त हो रहा हूँ मैं ।

फेसबुक पर, क्या खोया क्या पाया,
मनन कर अब ध्वस्त हो रहा हूँ मैं ।

कुछ मिले दोस्त यहाँ कुछ दुश्मन भी ,
छुट जायेंगे, सोच, पस्त हो रहा हूँ मैं ।

कर रहा हूँ शोध खुद कही तहरीरों का,
बस यूँ समझिये आश्वस्थ हो रहा हूँ मैं ।

वक़्त का अम्बार दिया है यहाँ मैनें,
शायद इसीलिए निरस्त हो रहा हूँ मैं ।

चाँद नहीं निकला रात भी ख़तम हुई ,
शायद सूरज सा, अस्त हो रहा हूँ मैं ।

कितना लगता था बुरा 'अलविदा' शब्द,
सही था, इसीलिए तटस्थ हो रहा हूँ मैं ।

आओ कुछ ऐसा कह दें उम्र भर याद रहे ,
कुछ कहूंगा ? सोच पस्त हो रहा हूँ मैं ।

___________हर्ष महाजन

Tuesday, November 26, 2013

ZakhmoN ki mehfil hamne jab jab sajaayii hai

...

ZakhmoN ki mehfil hamne Jab jab sajaayii hai,
Daman meiN ashk lekar woh bhi chali aayii hai.
Toota Bahut hooN par ab dard bhi intehayii hai,
Iashqi Nadia meiN do-do kashti nazar aayii hai.

----------------------------Harash Mahajan

Saturday, November 23, 2013

विदा हुईं जो बेटियां तो दिल को लू गयीं



विदा हुईं जो बेटियां तो दिल को लू गयीं,
परदेस क्या गयीं बाबुल की निकल रू गयी ।
खामोशियाँ जो छायीं थीं रुख्सती के वक़्त,
हलक के शब्द ला ज़ुबाँ पे दिल को छू गयीं ।

__________हर्ष महाजन

मैं ज़ख्म तो हूँ यक़ीनन भर जाऊँगा,



मैं ज़ख्म तो हूँ यक़ीनन भर जाऊँगा,
मगर दाग बन ता-उम्र नज़र आऊँगा ।
जब तलक हूँ तेरे हाथों की लकीरों में,
दरिया हूँ मगर समंदर नज़र आऊँगा ।

___________हर्ष महाजन

Friday, November 22, 2013

मुझे इल्म है इतना कि मेरा अहम् तुम्हें खो देगा इक दिन



मुझे इल्म है इतना कि मेरा अहम् तुम्हें खो देगा इक दिन,
मगर तौफ़ीक़ नहीं इतनी कि मैं तुमको तुम्हीं से मांग लूं ।

___________________हर्ष  महाजन

Wednesday, November 20, 2013

ये कैसे उजड़ा अपनों का चमन देखते चलो,

...
ये कैसे उजड़ा अपनों का चमन देखते चलो,
शहीदों के पड़े हैं यहाँ क़फ़न देखते चलो ।
तज़ुर्बा हो गया था हमको भी निशानियों को देख
किसी की साज़िशों का अब ये फन देखते चलो ।

________________हर्ष महाजन

Saturday, November 16, 2013

मुझको हाथों की लकीरों में तो रह लेने दो



मुझको हाथों की लकीरों में तो रह लेने दो,
वर्ना हक़ से मुझे अश्क़ों में ही बह लेने दो ।

थक चुका हूँ मैं तेरी राहों को तकते-तकते,
अब बची है कोई सर्द लहर तो कह लेने दो ।

हमें ज़ख्मों ने पुकारा मगर था होश कहाँ,
कुछ वो दर्द तूने सहे कुछ मुझे सह लेने दो ।

मुझको पूछो न वफ़ा और ज़फ़ा के मायने,
मैं तो तेरा था तेरा हूँ…… तेरा रह लेने दो ।

मैं तो वो दीप हूँ दुनिया का कहर भी झेलूँगा,
मुझको रोको न ज़हर दिल में है कह लेने दो ।


___________हर्ष महाजन

Friday, November 15, 2013

आओ कहीं बैठ कर मौज़ मनाई जाए


आओ कहीं बैठ कर मौज़ मनाई जाए,
इश्क़ की थाली अब फिर से सजाई जाए ।


बाग में बैठ कर दुपहर की ठंडी धुप में,
उनकी ज़ुल्फ़ों तले इक ग़ज़ल सुनाई जाए ।

मेरी हया मेरा तसव्वुर सब उन्ही से है,
आज भीड़ में उनसे आँख लड़ाई जाए ।

कर्ज़दार हूँ वो साहुकार हैं मोहब्बत के ,
सोचता हूँ फुर्सत से शर्म मिटाई जाए ।

इश्क़ खुदा की देन है सभी ये कहते हैं ,
बता 'हर्ष' ये विदा कैसे निभाई जाए ।

___________हर्ष महाजन

मेरे अश्क़ों को वो रात भर पोंछ्ता रहा


मेरे अश्क़ों को वो रात भर पोंछ्ता रहा,
कैसा दुश्मन था सुबह तक सोचता रहा ।


कब्र में भी अभी तक क्यूँ चैन नहीं मुझे,
बेक़सूर था वो, गफलत में कोसता रहा ।

पत्थर बेजान होते हैं कितना गलत था मैं,
जाने के बाद भी , दिवारों में खोजता रहा ।

उसने तो बहुत खायीं थी कसमें वफ़ा की,
मेरी आखिरी सांस तक, वो बोलता रहा ।

रोज़ आता है मैय्यत पे मेरी फूल चढ़ाने,
कितना पाक था बेवज़ह मैं खोलता रहा ।

___________हर्ष महाजन

Thursday, November 14, 2013

प्यार में गाफिल थे वो इस कदर कि मुझे पज़ल कर दिया



प्यार में गाफिल थे वो इस कदर कि मुझे पज़ल कर दिया,
मेरे कहे कुछ अहसासों को उसने पल में हज़ल कर दिया ।
कुछ शेर जो कहे थे फुर्सत में मैंने उसकी ज़ुल्फ़ों पे कभी,
दे कर साज़-ओ- आवाज़ उसने , उन्हें ग़ज़ल कर दिया ।

_____________________हर्ष महाजन

Wednesday, November 13, 2013

चंद शेरों में उनका हुनर इक राज़ ज़रूर बतलायेगा



चंद शेरों में उनका हुनर इक राज़ ज़रूर बतलायेगा,
बेरुखी उनकी क़ाफ़िया-ओ-रदीफ़ में नज़र आएगा ।
कितने छिपे हैं सांप उनकी आस्तीन में फन फैलाये,
आने वाला हर शेर उनकी खबर बा-दस्तूर लाएगा ।

______________हर्ष महाजन

Tuesday, November 12, 2013

देख तक़दीर मेरे अश्क़ों की बेहतर मुझसे



देख तक़दीर मेरे अश्क़ों की बेहतर मुझसे,
मैं तो हूँ क़ैद छूटा अश्क़ों का है दर मुझसे ।
हसने की चाह में था दर्द उनसे से बांटा था ,
उसने तो मांग लिया मेरा ही अब घर मुझसे ।

____________हर्ष महाजन ।

तुझ को काफिर मैं लगा फिर भी निभाएगा तू



तुझ को काफिर मैं लगा फिर भी निभाएगा तू ,
सरफिरा लगता हूँ फिर भी आजमाएगा तू ।


लोग लोफर भी कहें दिल से भी काला ही कहें,
अब तो हद ये है कि दामन भी बचाएगा तू ।

या खुदा बिछुड़ा तो फिर लौट कर न आऊंगा,
हो के मायूस सनम बीच सफ़र आएगा तू ।

आँखों में रंज तेरे दिल में थकन जो बाक़ी है ,
दूर होगी जो , मोहब्बत में अगन लाएगा तू ।

_____________हर्ष महाजन

Monday, November 11, 2013

खौफ़ तेरी तस्वीर में उसी तरह मौज़ूद है साहिल



खौफ़ तेरी तस्वीर में उसी तरह मौज़ूद है साहिल,
ज्यूँ  किया था अलविदा तूने कफ़न ओड कर मुझे । 

_______________हर्ष महाजन

Sunday, November 10, 2013

पत्थर के बुत तोड़ रहा हूँ मैं



पत्थर के बुत तोड़ रहा हूँ मैं,
टूटे अहसास जोड़ रहा हूँ मैं।
बे-वफ़ा,जो छोड़ गया था मुझे,
उसे वापिस घर मोड़ रहा हूँ मैं ।

______हर्ष महाजन

है कोई दिल पे लिखे मेरे सवाल कोई


...


है  कोई दिल पे लिखे मेरे सवाल कोई,
मैं तन्हा रहूँ हो न मुझे फिर मलाल कोई ।

करार-ए-ज़िंदगी में सफे अब भी खाली हैं,
उम्मीद है मिलेगा मुझे भी लिखवाल कोई ।

रुतबे का बहुत, असर तिरा,  मेरे शेरो में,
डर है मुझे उठ न जाए अब सवाल कोई ।

बे-वफ़ा का दर्द-ए-ज़ख्म मैं जानता हूँ खूब ,
इश्क़ के सफ़र में तुम रखना न ख्याल कोई ।

 है अच्छे अच्छे शायरों का लुत्फ़ लिया मैंने ,
मगर हुआ, न अब तलक, ऐसा इक़बाल कोई ।

बेहद किया, है प्यार तुझे, पर कह सका न मैं,
दिल जानता,  उठेगा अब, ज़रूर बवाल कोई ।

बहुत बार कबूला 'हर्ष'  ये इश्क़-ए-ज़ुर्म यहाँ  ,
जालिम जहॉं,  होता नहीं, यहाँ निहाल कोई ।

हर्ष महाजन


Saturday, November 9, 2013

बरसों किया है इंतज़ार अब अहसास भी कुड़ने लगे हैं



बरसों किया है इंतज़ार अब अहसास भी कुड़ने लगे हैं ,
मुन्तजिर फूल अब सूख कर मेरी कब्र से उड़ने लगे हैं ।
ख्वाब तो आँखों से पहले ही चुरा लिए थे किसी ने 'हर्ष',
अब तो अश्क़ मेरे दिन पर दिन अश्क़ों से जुड़ने लगे हैं ।

________________हर्ष महाजन ।

Thursday, November 7, 2013

उसने इश्क़ की बिरादरी में नाम इस कदर दर्ज़ कर लिया



उसने इश्क़ की बिरादरी में नाम इस कदर दर्ज़ कर लिया,
ज़िस्म मैखाने का और ख्वाब ज़ुल्फ़ों का मर्ज़ कर लिया ।
शौखियाँ उसकी नजरो की, खूबसूरत पैगाम से कम नही ,
इक-इक अदा को उसने छलकते जाम का क़र्ज़ कर लिया ।

________________हर्ष महाजन

फलक तक पहुँच जाएंगी अहसासों की बुलंदियां मेरी


फलक तक पहुँच जाएंगी अहसासों की बुलंदियां मेरी,
मगर दुश्मन घर का पता ढूंढ रहे हैं, बे-सब्री से मेरा ।

_______________हर्ष महाजन

चिरागों से इल्तज़ा कि मेरे लिए भी जला करो


चिरागों से इल्तज़ा कि मेरे लिए भी जला करो,
पर क्या करूँ हवाओं का सिलसिला थमा नहीं है ।

_______________हर्ष महाजन

Tuesday, November 5, 2013

लगता है वो अपनी कलम का फिक्रमंद नहीं

...

लगता है वो अपनी कलम का फिक्रमंद नहीं,
शुक्रिया तो कहता है सबको मगर पसंद नहीं ।
अदाएं देखो तो कुछ सही भी कहा करते हैं वो ,
अच्छी शायरी का शुक्रिया से कोई सम्बन्ध नहीं ।

_______________हर्ष महाजन

Monday, November 4, 2013

वो दिल से गया खेल दोस्ती की तरह

...

वो दिल से गया खेल दोस्ती की तरह,
लगे है उम्र कटेगी अब सदी की तरह ।
दर्द बादलों सा लहर बन के चल पड़ा,
वो बुझ गया है दिल से रोशनी की तरह ।

___________हर्ष महाजन

Sunday, November 3, 2013

इल्तज़ा है कलम से यूँ ही तेरे लिए नए गीत बनाती रहे

न्म-दिन की दिली मुबारकबाद हो शेफाली शर्मा
खुदा तेरी उम्र दराज़ करे हज़ारों बरस
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इल्तज़ा है कलम से यूँ ही तेरे लिए नए गीत बनाती रहे ,
शब्दों को दे जन्म हर साल तेरा जन्म-दिन मनाती रहे ।

दुआओं की हर शाख पर रहे तू महफूज़ बस ये खुदा करे ,
इक बे-खौफ जिन्दगी तेरी रग -रग में अब मुस्कराती रहे ।

कुछ बुलन्दियाँ हैं जो छूना बाकि हैं शायद तुम्हे याद हों,
पल में दूर हो जाएंगी मुश्किलें जो भी तेरी राह आती रहें ।

सितारों का क्या है आसमां से यूँ ही उतर आते हैं तेरे लिए,
मनाएं वो जन्म-दिन तेरा बस महक हम तक आती रहे ।

____________________हर्ष महाजन

मेरे भैय्या तेरे बिन आज भी सजती महफ़िल

जन्म-दिन की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं भाई सुरेश महाजन
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...
मेरे भैय्या तेरे बिन आज भी सजती महफ़िल,
नहीं भूलेगा जन्म-दिन जो तेरा आज के दिन ।

पर अधूरी सी क्यूँ लगती है .... हर चीज़ यहाँ,
केक काटे हैं ये ऐसे जैसे कटे.... मेरा ये दिल ।

ऐ खुदा कैसे करूँ शुक्र मैं.... उस दिन के लिए;
भेजा तूने जो है धरती पे भरा प्यारा सा दिल ।

जाने क्यूँ इतंजार है अब...दिल धड़के है क्यूँ ,
है जन्म-दिन शायद सज रही...तेरी महफ़िल ।

मेरी हर एक दुआ तेरी ......... उमर लम्बी करे,
जहां धड़केगा तेरा दिल वहीं हो तेरा जन्म-दिन ।

_______________हर्ष महाजन

बता कैसे लिख दें तेरी उम्र चाँद सितारों पे

जन्म-दिन की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं भाई अश्वनी महाजन
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...

बता कैसे लिख दें तेरी उम्र चाँद सितारों पे
और मना लें तेरा जन्म-दिन फूल बहारों से ।

बटोर लें कुछ खूबसूरत अहसास तेरे लिए,
सजा दें उन्हें तेरे हृदय में अद्भुत नज़ारों से ।

खुदा से कर मिन्नत इक सौगात रखवा ली है ,
तभी आज तेरे जन्म-दिन पर हुई दिवाली है ।

खुदा की नैमत किस को मिले किसको अंदाजा है,
द्वार-पट मुक़द्दर का खुद बता देगा जो दरवाजा है ।

किस तरह बना दूं इसे मैं वर्ष का इक ख़ास दिन,
जिसे बिताना न चाहे कोई भी अपना बस तेरे बिन ।

देते रहें सदा दुआएं और चाहें तुझको कुछ इस तरह,
रोम-रोम कह रहा हो जन्म-दिन मुबारक हो जिस तरह ।

___________________हर्ष महाजन

Wednesday, October 30, 2013

शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता

...

शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता,
किसी पत्थर-नुमा दिल पे दो दस्तक तो नरम होता ।
किसी के दूर जाने से..............उम्मीदें टूट जाती हैं ,
पर वो आस भर दिल की उसी से इश्क़ चरम होता ।

_________________हर्ष महाजन

Monday, October 28, 2013

मोहब्बत की बेबाक रस्मों से अक्सर गुज़रा हुआ हूँ मैं


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मोहब्बत की बेबाक रस्मों से अक्सर गुज़रा हुआ हूँ मैं,
ज़िन्दगी इख्तियार में नहीं इसीलिए बिखरा हुआ हूँ मैं ।

__________________हर्ष महाजन

तुम्हारे तड़क इरादों से मेरा दिल धड़क सा जाता है

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तुम्हारे तड़क इरादों से मेरा दिल धड़क सा जाता है,
पर हक़ीक़त-ए-अंजाम पर फिर अटक सा जाता है ।
सुना है तुम परवाने हो पर जलना सीखा नहीं कभी,
वो दिल ही है बेबाक तुम्हारा जो लटक सा जाता है ।

______________________हर्ष महाजन

Sunday, October 27, 2013

मुझे चाहने वालों का क्या होगा मुझे अंदाज़ा तो नहीं है

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मुझे चाहने वालों का क्या होगा मुझे अंदाज़ा तो नहीं है ,
मगर मुझे चाहत अपनी मोहब्बत से है बस बे-इन्तहा ।

_______________________हर्ष महाजन

ज़रा सी बे-रुखी उनकी जान मेरी हथेली पर ले आती है

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ज़रा सी बे-रुखी उनकी जान मेरी हथेली पर ले आती है,
अफ़सोस है हम कब से खफा हैं, उन्हें मलाल तक नहीं ।
बे-इन्तहा प्यार किया है उनसे, मगर खाली हाथ ही हूँ,
अब इस बे-रुखी का शायद दुनियाँ में मिसाल तक नहीं ।

_______________________हर्ष महाजन

Friday, October 25, 2013

किस तरह हुस्न वालों की ज़मीं को मैं बंजर कह दूं

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किस तरह हुस्न वालों की ज़मीं को मैं बंजर कह दूं,
बहुत मेहनत की है इस पर प्रेम की फसल उगाने में ।

________________हर्ष महाजन

मोहतरमा ने अपने शहर की गलियों में पेड़ लगवा दिए

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मोहतरमा ने अपने शहर की गलियों में पेड़ लगवा दिए,
जहां-जहां उसके आशिक थे उन सभी के सर मुंडवा दिए ।

___________________हर्ष महाजन

Thursday, October 24, 2013

सुनहरी किरणें जब ख्वाबों में पड़ा करती हैं,

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सुनहरी किरणें जब ख्वाबों में पड़ा करती हैं,
फिर मुस्कानों के साथ आँखें खुला करती हैं ।

शुभ प्रभात

_____________हर्ष महाजन

किस तरह कहूँ वो बात जो तुझ में है दोस्त

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किस तरह कहूँ वो बात जो तुझ में है दोस्त ,
देख जिसे आँखों में शराब सी चढ़ जाती है । 

____________हर्ष महाजन

Wednesday, October 23, 2013

बुझे चिराग हो... बहुत धुंआ करते हो

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बुझे चिराग हो... बहुत धुंआ करते हो,
बसे हो दिल में अब क्यूँ जुदा करते हैं ।

___________हर्ष महाजन

वो लुटे मेरे प्यार में और हम लुटे उस यार में

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वो लुटे मेरे प्यार में और हम लुटे उस यार में,
संतोष फिर लुटते रहें चाहे मौत हो ऐतबार में ।

______________हर्ष महाजन

Tuesday, October 22, 2013

चाँद अब रात फलक में तो निकल आया है


चाँद अब रात फलक में तो निकल आया है,
पर तडपा के मेरे......... चाँद को सताया है ।
अब ज़रा देखो सितारों को... मुस्कराते हुए ,
मिल के दोनों ने वफाओं को आजमाया है ।

_____________हर्ष महाजन

Wednesday, October 16, 2013

मेरे दिल के दर्द मुझको खुद ही भूल गये

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मेरे दिल के दर्द मुझको खुद ही भूल गये,
बला है क्या ये इश्क़ सारे मेरे असूल गये |
किताब-ए-इश्क़ में था पढ़ लिया जो अपना नाम,

अंजाम सोच के क़फन ले हम भी झूल गये |

_________________हर्ष महाजन |

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Mere dil ke dard mujhko khud hi bhool gaye,
Balaa hai kya ye ishq saare mere asool gaye.
kitaab-e-ishq meiN tha padh liya jo apna naam,
anjaam soch ke qafan le ham bhi jhool gaye.

_____________________Harash Mahajan

Tuesday, October 15, 2013

गर तू कह दे कि तुझे मुझसे शिकायत ही नहीं

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गर तू कह दे कि तुझे मुझसे शिकायत ही नहीं,
ये तो खुद पे है तेरा ज़ुल्म पर इनायत तो नहीं |


__________________हर्ष महाजन 

तेरे लबों की तासीर नहीं निगाहों का सितम है,

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तेरे लबों की तासीर नहीं निगाहों का सितम है,
ये खुशी तो है तेरे दम से मगर बहुत कम है |


______________हर्ष महाजन

उठो कि आज मोहब्बत को तू पानी कर ले

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उठो कि आज मोहब्बत को तू पानी कर ले,
जो भी हासिल है तुझे अपनी कहानी कर ले |

_______________हर्ष महाजन

दिल की ज़मी तो बहुत है उनके पास मगर बंजर लिए घूमते हैं


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दिल की ज़मी तो बहुत है उनके पास मगर बंजर लिए घूमते हैं,
प्यार भी बहुत किया करते हैं मुझसे मगर खंज़र लिए घूमते हैं |


_________________________हर्ष महाजन

मैं मुहब्बतों में ज़बर का कायल नही हूँ

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मैं मुहब्बतों में ज़बर का कायल नही हूँ,
मुहब्बत तो करता हूँ पर घायल नहीं हूँ |

_______________हर्ष महाजन

Mein mohabbaton mein Zabar ka qayal nahin hooN.
Mohabbat to karta hooN par Ghayal nahiN hooN.

______________________Harash mahajan

Saturday, October 12, 2013

तेरे इश्क ने जो तूफ़ान मेरे अन्दर झेला होगा


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उनके इश्क ने जो तूफ़ान, मेरे अन्दर झेला होगा,
शायद ही कभी समंदर ने ऐसा मंज़र खेला होगा |

_______________हर्ष महाजन


कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल


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कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल,
ये तो खुदा का फज़ल समझो मेरा प्यार खुद ही संवर जाता है |

_____________________________हर्ष महाजन

Thursday, October 10, 2013

बे-सबब मोहब्बत का इज्र्हार होता गया

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बे-सबब मोहब्बत का इज्र्हार होता गया,
दूरियां बढती गईं दिल मगर खोता गया |
क्या कहूँ खामोशियाँ यूँ ज़िंदगी पे तारी हैं,
दिन में हुए ज़श्न बहुत रातों को रोता गया |

___________हर्ष महाजन

Sunday, October 6, 2013

मेरी रहमतें मेरा जूनून सिर्फ एक शख्स पर तमाम होता है


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मेरी रहमतें मेरा जूनून सिर्फ एक शख्स पर तमाम होता है,
मैं तनहा हूँ इस तन्हाई में मुझे ये सब बहुत आराम देता है |

________________________हर्ष महाजन

Saturday, October 5, 2013

तसल्ली अब कर लेता हूँ तुझे यूँ उदास देखकर


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तसल्ली अब कर लेता हूँ तुझे यूँ उदास देखकर,
देख लेती हो मेरे ज़ख्म जिस्मी लिबास देखकर| 

__________________हर्ष महाजन

चाहूँ तो निगाहों से पी लूं जिसपे हो नाज़ नशे-मन


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चाहूँ तो निगाहों से पी लूं जिसपे हो नाज़ नशे-मन का,
पर है तकदीर में साहिल वो, करे जो राज़ मेरे तन का |
जहाँ फूल खिले है दिलभर का वो चमन सदा आबाद रहे, 
ये खेल नहीं अल्फासों का मैं शायर 'हर्ष' हूँ तन-मन का |

________________________हर्ष महाजन

किस तरह रोकूँ आज मैं मरहला उसके शबाब


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किस तरह रोकूँ आज मैं मरहला उसके शबाब का, 
कह दो उसे ज़रा प्यार का इज्र्हार कर लिया जाए |

________________हर्ष महाजन

Thursday, September 26, 2013

आओ वक़्त को जी के देखें दर्द की चादर सी के देखें


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आओ वक़्त को जी के देखें दर्द की चादर सी के देखें,
छलकती है आँख से मय जो होंटों से अब पी के देखें |

ज़ख्म कुछ संग छोड़ गए हैं कुछ को हम भी भूल गए,
कुछ जो दिल नासूर किये हैं आओ उन संग जी के देखें | 

कश्ती दिल की बीच समंदर गम भंवर बन खींच रहे हैं,
डोर वफ़ा की माझी संग अब कहे तो नफरत सी के देखें |


________हर्ष महाजन

Wednesday, September 25, 2013

बता दे किश्तें कितनी बाक़ी हैं चाहत में

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बता दे किश्तें कितनी बाक़ी हैं चाहत में,
उमर तो बीत चली भरते-भरते राहत में |

मुझे तू मात दे दे, मेरे गुनाहों की सनम,
मगर तू दे दे मालिकाना हक विरासत में |

मोहब्बतों के ज़ख्म रफ्ता-रफ्ता रिस्ते रहे,
मगर ये अश्क मेरे,   बहते रहे दावत में |

अभी तो सारे शहर में,   मेरी पहचान हुई ,
जहां पे साया तक  रहा मेरी खिलाफत में |

जहाँ में तनहा जी सकूं,  मेरा जिगर ही नहीं, 
तभी लिखा है दिल पे नाम तिरा इबारत में |

सख्त जाँ हुआ था मैं नवाब बन के मगर  ,
चला था तेवरों का सिलसिला शराफत में | 

_______________हर्ष महाजन

आओ वक़्त को जी कर देखें


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आओ वक़्त को जी कर देखें, 
दर्दीले हैं गम पी कर देखें |
मय छलके शरबती आँखों से 
लरज़ते होंटों से पी कर देखें |

________हर्ष महाजन

मैंने माना है तू हाथों की लकीरों में नहीं


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मैंने माना है तू हाथों की लकीरों में नहीं,
पर दुआ आज भी मैं तेरे लिए करता हूँ |

तू मुक़द्दर न सही पर गिले से खारिज हूँ ,
हो वज़ह कुछ भी रकीबों से पर मैं डरता हूँ |

हुआ जो मुझ से जुदा मुड के तूने देखा नहीं,
आखिरी खत तेरा पढ-पढ़ के रोज़ मरता हूँ |

अब तलक तुझको मैं अलविदा भी कह न सका,
ख़्वाबों में रोता मगर, सुबह मैं मुकरता हूँ | 

___________हर्ष महाजन

Monday, September 23, 2013

इतनी मेहरबानी शख्स वो मुझपे करने लगा


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इतनी मेहरबानी शख्स वो मुझपे करने लगा, 
मेहमां बन के मेरे दिल पे अब वो मरने लगा |
न जाने किस तरह कमबख्त दिल में आग लगी,
मेरी इन साँसों में वो शख्स अब तो चलने लगा |

________________हर्ष महाजन 

contd....