Saturday, April 27, 2013

दर्द होता है तेरी यादों में खोते-खोते

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दर्द होता है तेरी यादों में खोते-खोते,
फूटीं हैं कच्ची कोंपल बीज बोते-बोते |

ऐ नसीबा मैं तुझे कैसे भूल पाऊंगा,
बीती है उम्र सर-ए-आम रोते-रोते |

कैसे बच पाऊँगा ऐसी कलियों से मैं,
खिलती है रोज़ ही जो शाम होते-होते |

अलविदा कहता हूँ, अश्क गिरा देती है,
रोज़ रह जाता है ये, जाम होते-होते |

दिल था वीरान मगर महक बाकी थी अभी,
मैं तो मरता हूँ यहाँ रोज़ सोते-सोते |

लोग कहते हैं मुझे, तू ही भंवरा है ‘हर्ष’
कब तलक जीऊँगा ये इल्जाम ढोते-ढोते |

___________हर्ष महाजन

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