Thursday, April 4, 2013

किस तरह करूँ मैं क़ैद उसे दिल की दीवारों में


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किस तरह करूँ मैं क़ैद उसे दिल की दीवारों में,
वो पंछी आज़ाद घूमें हैं दिल लिए गुब्बारों में |
हर शख्स बुन रहा है इक जाल उसे मनाने को,
कब पहूँचेगी मेरी आवाज़ इन लम्बी कतारों में | 

________________हर्ष महाजन

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