Friday, May 3, 2013

तेरी बे-रुखी भी भली लगे,तेरी आशिकी भी लगे भली

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तेरी बे-रुखी भी भली लगे,तेरी आशिकी भी लगे भली ,
मैं तो ठोकरों में पली बड़ी, तूने चाहा तेरे ही संग चली |

मेरे गेसुओं में वो ख़म नहीं, जो रूझा सकें तुझे दम नहीं,
तेरी चाहतों का सिला है ये, कि लगे तेरी अब भली गली |

मैं तो खुद ही अब हैरान हूँ , तेरे प्यार से परेशान हूँ
मैं तो उलझी काँटों में सदा, अब हर तरफ है कली-कली |

क्या धोखा है क्या फरेब है, क्या झूठ क्या बे-ईमानी है,
गर होगा मुझ-संग दे दूँगी मैं जिस्म-ओ-जां की तिलांजलि |

_______________________हर्ष महाजन

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