Friday, May 24, 2013

तेरी बेरुखी का सबब है क्या मेरा दिल से तुझको सलाम है


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तेरी बेरुखी का सबब है क्या पर दिल से तुझको सलाम है,
मेरी ग़ज़लें क्या मेरे नग्में क्या मेरी नज्में सब तेरे नाम है |

मेरे ख्वाब अश्कों में ढलते क्यूँ  मेरे ग़म भी सारे मचलते क्यूँ,
मुझे फिर भी तुझसे गिला नहीं, दिल फ़कत तेरा गुलाम है |

मैं वो अश्क हूँ तेरी आँख का, जिसे ख्वाबों से है गिरा दिया,
मैं तो अब भी तेरी सुबह हूँ, न समझ तू ढलती ये शाम है |

तू है चाँद मैं हूँ फलक तेरा, तू है ज़िन्दगी मैं भी सांस हूँ ,
तू क्या जाने इश्क की इंतिहा , मेरा इश्क यूँ बदनाम है  |

तू दरिया में तूफ़ान अगर , मैं भी यादों का सैलाब इधर ,
तू जो बंद नशे की शीशी गर, ये शख्स उसमें भी जाम है |


________________हर्ष महाजन

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