Sunday, June 30, 2013

उसने मुझे अचानक दिल से यूँ उतार दिया

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उसने मुझे अचानक दिल से यूँ उतार दिया,
पल में ज्यूँ अजनबियों में यूँ शुमार किया |
बिन बात के कोई यूँ ही रूठता नहीं है 'हर्ष',
मैं आईना था उसका,उसने भी नकार दिया |

__________________हर्ष महाजन

Wednesday, June 26, 2013

आज उन्होंने अपना ऐतराज़ बुड्डों पर थोप दिया

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आज उन्होंने अपना ऐतराज़ बुड्डों पर थोप दिया,
कीमती जज़्ब-ओ-अंदाज़ उन चुनिंदों पर रोप दिया |
कैसे कहूँ लांग गए वो अपनी ही खींची लकीरों को,
बेवज़ह दर्दीला अहसास उन बाशिंदों को सौंप दिया |

_____________________हर्ष महाजन

Tuesday, June 25, 2013

मैं हूँ अलफ़ाज़ जुबां पर मैं तभी रुकता हूँ

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मैं हूँ अलफ़ाज़ जुबां पर मैं तभी रुकता हूँ,
दर्द महसूस अगर हो तो मैं फिर बिकता हूँ |
यूँ ही क्यूँ पूछे कोई मेरी ग़ज़ल को यारों ,
मैं भी हालात की हर बात मगर लिखता हूँ |

__________________हर्ष महाजन

Monday, June 24, 2013

गुस्ताख़ ज़िन्दगी में इक भूल शुमार हो गयी

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गुस्ताख़ ज़िन्दगी में इक भूल शुमार हो गयी |
बरसों छुपी इक दास्तां पल में अखबार हो गयी |

दवा वफ़ा की क्या करूँ वो ज़ुल्मों से महफूज़ हो,
परेशां हूँ मैं इस तरह ये नज़र दीवार हो गयी |

_______________________हर्ष महाजन

Thursday, June 20, 2013

महके तेरा नीरा ये जन्म रात-दिन |

जन्म०दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ और बधाई! नीरा राजपाल जी
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तुम महसूस करो खुशियाँ रात-दिन,
महके तेरा नीरा ये जन्म रात-दिन |
बीती उम्र में देखे ज़ख्म तूने जो,
मरहम खुद ही खुदा देगा कहेगा ये लो ,
जो भी शख्स तेरी ज़िन्द में था राक्षस बना,
उनसे इक-इक ज़ख्म का हिसाब लेगा वो |
तेरे दामन में हर दाग खुद धोएगा,
वो खुदा जब फलक से उतरेगा एक दिन |
तुम महसूस करो खुशियाँ रात-दिन,
महके तेरा नीरा ये जन्म रात-दिन |


नीरा जी आपकी लेखनी सदा हमें भाती रहे ,
ज़िंदगी अनमोल आपकी सदा मुस्कराती रहे |


जन्म दिन मुबारक जन्म दिन मुबारक !!!

_____________हर्ष महाजन

Friday, June 14, 2013

मुझपे इल्जामे मोहब्बत की खबर रखते हैं

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मुझपे इल्जामे मोहब्बत की खबर रखते हैं,
मेरी वो आँखों के ख्वाबों पे नजर रखते हैं |
मिले है चैन उन जुल्फों में ज्यूँ शजर है घना,
आते चुपचाप इधर नजर वो मगर रखते हैं |

_____________________हर्ष महाजन |

Thursday, June 13, 2013

हमने उन्हें हद्द तक चाहा भी मगर टूट गए

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हमने उन्हें हद्द तक चाहा भी मगर टूट गए,
इश्क शुरू हुआ भी न था वो हमसे रूठ गए |

____________________हर्ष महाजन

Sunday, June 9, 2013

रात भर अश्क मोती बन निकले

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रात भर अश्क मोती बन निकले,
ज्यूँ ही ख़्वाबों में तेरे हम निकले |
अश्क भर-भर नहला दिया तुमने,
तेरे दिल से जो बन के गम निकले |

__________हर्ष महाजन

Saturday, June 8, 2013

ज़िंदगी नासूर बनी हो मुझको ऐसा गम नहीं

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ज़िंदगी नासूर बनी हो मुझको ऐसा गम नहीं,
ज़िंदगी तेरी न हो अब मुझमें ऐसा दम नहीं |

तेरी खातिर छोड़ दिये अब दर्द के
वो फासले,
भूल गए अब ज़ख्मीं पल भूले मगर वो ज़ख्म नहीं |

आजकल शेरों में मेरे बेरुखी और रुसवाई,
जिस तरह ग़ज़लें उठीं तेरी, जहां थे हम नहीं |

हम चले महफ़िल से तेरी भूल कर सब अदावतें,
बह चुके अब अश्क इतने होती आखें नम नहीं |

रंग बिरंगी दुनिया में अब खुशियाँ सब बेरंग हुई,
इल्तजा ऐ खुदा उठा ले, कोई यहाँ हमदम नहीं |

____________________हर्ष महाजन

अदावतें=वैर

Wednesday, June 5, 2013

दुश्मनी भी शख्स खूब किया करते हैं

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दुश्मनी भी शख्स खूब किया करते हैं
पछताते हैं फिर धूप लिया करते हैं |
फल से भरे शज़र झुक जाते है बहुत,
पत्थर खा के भी फल दिया करते हैं |

______________हर्ष महाजन

उम्र-भर जुल्फों तले जिनकी बंद कर आँखें सकूं पाता रहा

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उम्र-भर जुल्फों तले जिनकी बंद कर आँखें सकूं पाता रहा,
उन्हें देखते ही जुल्फें शानों से अब वो हटा लिया करते हैं |

जिनको देखने भर से उनके चहरे पर आ जाती थी रौनक,
आजकल उनके शेरों को देख वो आंसू बहा लिया करते हैं |

___________________हर्ष महाजन |

Monday, June 3, 2013

प्यार पे पाबंदी उसका अपना अधिकार था,

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प्यार पे पाबंदी उसका अपना अधिकार था,
मगर मैं सोचता हूँ उसका ज़हन बीमार था |
इंतज़ार था उसे शख्स वो लौटेगा तो ज़रूर,
भ्रम था उसका वो जहाँ था उसी का प्यार था |

______________हर्ष महाजन

कैसे कहूं 'हर्ष' मेरी ग़ज़लों का हासिल तुम ही तो हो

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कैसे कहूं 'हर्ष' मेरी ग़ज़लों का हासिल तुम ही तो हो

ख़त जो भेजा था तुझे मैंने, उसे ज़रा मोड़ के देख |

________________हर्ष महाजन

शब्द तुम कुछ इस तरह कहो कि अहसास आँखों में उतर आयें

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शब्द तुम कुछ इस तरह कहो कि अहसास आँखों में उतर आयें
शेर कलम से निकलता जाए और शब्द अश्कों से नितर जाएँ |

_____________________________हर्ष महाजन

Sunday, June 2, 2013

कुण्डलिया छंद


कुण्डलिया छंद

कुण्डलिया है जादुई, छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|

दोहा रोला का मिलन, इसकी है पहिचान||
इसकी है पहिचान, मानते साहित सर्जक|
आदि-अंत सम-शब्द, साथ बनता ये सार्थक|
लल्ला चाहे और, चाहती इसको ललिया|
सब का है सिरमौर छन्द, प्यारे, कुण्डलिया||

__________ NAVIN C. CHATURVEDI


कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित

कुण्डलिया है जादुई
2112 2 212 = 13 मात्रा / अंत में लघु गुरु के साथ यति
छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|
21 21 212 = 11 मात्रा / अंत में गुरु लघु
दोहा रोला का मिलन
22 22 2 111 = 13 मात्रा / अंत में लघु लघु लघु [प्रभाव लघु गुरु] के साथ यति
इसकी है पहिचान||
112 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में गुरु लघु
इसकी है पहिचान,
112 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
मानते साहित सर्जक|
212 211 211 = 13 मात्रा
आदि-अंत सम-शब्द,
21 21 11 21 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
साथ, बनता ये सार्थक|
21 112 2 211 = 13 मात्रा
लल्ला चाहे और
11 22 21 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
चाहती इसको ललिया|
212 112 112 = 13 मात्रा
सब का है सिरमौर
11 2 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
छन्द प्यारे कुण्डलिया||
21 22 2112= 13 मात्रा

साभार

हर्ष महाजन

Saturday, June 1, 2013

ये कैसी नेमत है खुदा की उसमें जवानी संग नशा भी

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ये कैसी नेमत है खुदा की उसमें जवानी संग नशा भी ,
निगाहों से करती हैं लहू-लुहान नहीं खंज़र का पता भी |

________________________हर्ष महाजन

उसने वक़्त को बेअसर कर दिया कुछ इस तरह

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उसने वक़्त को बेअसर कर दिया कुछ इस तरह,
रख पहलू में सर हर लिया दर्द कुछ जिस तरह |

बहुत रुलाया उसने मगर आज पलकें कुछ शांत हैं 
रखे लिए दामन में उसने अश्क मेरे कुछ इस तरह |

_________________हर्ष महाजन

मेरी जान भी गयी पर, उन्हें दर्द भी नहीं था

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मेरी जान भी गयी पर, उन्हें दर्द भी नहीं था,
जिसे मुर्दा समझे थे सब उठेंगे उन्हें यकीं था |

मुझे करके अब क़त्ल फिर वो पता भी पूछते हैं,
अब हुए है दर-बदर वो जैसे मैं सर ज़मीं था |

______________हर्ष महाजन

लगता है कोई तसव्वुर से उतर गया मेरे

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लगता है कोई तसव्वुर से उतर गया मेरे ,
बेवफ़ा था खामोशियों में बिखर गया मेरे |
जुल्फें कितनी ही बार संवारी होगी उसने ,
आज उसका दिल से ही जिकर गया मेरे |

______________हर्ष महाजन