Monday, December 30, 2013

ये कैसा अत्याचार हुआ इक बे-वफ़ा से प्यार हुआ,



ये कैसा अत्याचार हुआ इक बे-वफ़ा से प्यार हुआ,
जो अर्श से था फर्श तक विश्वास भी तार-तार हुआ ।
गुस्सा तुनकपन कड़वे बोल बोले थे उसने बिन ही तोल
इक था भरोसा साँसों का वो रिश्ता भी तलवार हुआ ।

_____________हर्ष महाजन

कैसी दहशत थी उसे जो मुझपर शौक आया



कैसी दहशत थी उसे जो मुझपर शौक आया ।
इक सैलाब, अश्कों का,मगर मैं रोक आया ।
वहशत थी और हैरत भी..उसकी  आँखों में,
कहा उसे,बस पलभर को,मैं परलोक आया ।

_____________हर्ष महाजन

Sunday, December 29, 2013

कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है


कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है,
तुम्हें तुमसे तो कुछ ज्यादा मेरा मजमून समझता है ।
अब दुनिया की तुम नज़रों से छुपाते क्यूँ हो अपने को ,
मुसीबत में मुझे हर शख्स अब अफलातून समझता है ।

________________हर्ष महाजन

Saturday, December 28, 2013

उनके कुछ दोस्त बने, जाने पता किस खातिर


उनके कुछ दोस्त बने, जाने पता किस खातिर,
तो फलक पर थी घटा छायी बता किस खातिर ।
जाने ये दुनिया क्यूं बदले है तवायफों की तरह,
यार बदले क्यूं बता.….ऐसी खता किस खातिर ।

______________हर्ष महाजन

किस तरह नफरत सँभाली है तेरी आंखों ने,



किस तरह नफरत सँभाली है तेरी आंखों ने,
आज बे-वफायी का आगाज़ हुआ है शायद ।
भूल न सका मैं वो शहर वो सफ़र वो मकान,
मेरी मोहब्बत को तेरी ये बद्दुआ है शायद ।

___________हर्ष महाजन

Friday, December 27, 2013

अपनी चाहत मैं बता दूं क्या सज़ा दोगे मुझे



अपनी चाहत मैं बता दूं क्या सज़ा दोगे मुझे,
तुझको चाहूंगा क्या नज़रों से गिरा दोगे मुझे । 

मैं मोहब्बत में ज़बर का नहीं कायल लेकिन,
मैं बता दूं तो क्या दिल से ही भुला दोगे मुझे ।

मैं तो डर के भी कभी राजे दिल बताता नहीं,
गर मैं कह दूं तो तमाशा ही बना दोगे  मुझे ।

अगर मैं छोड़ दूं दुनिया तेरी दुनिया के लिए,
छुड़ा के खुद को हँसी में क्या उड़ा दोगे मुझे ।

मैं हूँ मुज़रिम मुझे लगता है तेरी बातों से,
चला मैं जाऊँगा क्या फिर भी सज़ा दोगे मुझे ।

__________हर्ष महाजन

गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना


गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना,
ये दिल जो धड़के तेरे वास्ते……न तकसीम करना ।
तुम्ही को याद करके फिर.…....तुझे मैं तहरीर करूँ ,
तू दिल के पास बहुत…... कहना न मुतमईन करना ।

___________________हर्ष महाजन

मुतमईन–संतुष्ट

मैं जो बिछुड़ा तो सनम लौट कर न आऊंगा



मैं जो बिछुड़ा तो सनम लौट कर न आऊंगा,
तुझ से वादा है सफ़र... .छोड़ कर न आऊंगा ।
गर ज़िकर में भी कभी तेरा गम मिलेगा मुझे,
होके मायूस कसम….... तोड़ कर न आऊंगा ।

____________हर्ष महाजन

Thursday, December 26, 2013

कसूर था ज़मीर का, न मैं दर्द तक छुपा सका



कसूर था ज़मीर का, न मैं दर्द तक छुपा सका,
दगा दिया ज़मीर ने, न ज़मीर तक बचा सका ।

ये वलवालों की आग जो रूह तक निगल गयी,
हसरतों की आग न,  बता सका न बुझा सका ।

मैं ढूँढता रहा था उसके ……खौफ की इबारतें,
वो इस कदर ज़ुदा हुआ फिर दोस्त न बना सका ।

ये कैसा था अज़ाब..... मेरी ज़िंदगी बदल गया,
न दोस्त ही मैं बन सका न दोस्ती निभा सका ।

कुछ लोग बे-वफ़ा का मुझको रंजो गम दे गए,
मज़बूर था मैं कब्र में तोहमत न झुठला सका ।

_____________हर्ष महाजन
 

Wednesday, December 25, 2013

किसी के गम में यूँ रोने की तुझ में बात कहाँ



किसी के गम में यूँ रोने की तुझ में बात कहाँ ,
जो अश्क़ बन के न उतरे वो प्यार प्यार कहाँ ।
जो साथ हम से मिला था वो साथ खो भी लिए,
मगर जहां में अब मिलेगा मुझ सा यार कहाँ ।

________________हर्ष महाजन

Sunday, December 22, 2013

मैं वफ़ा कर न सका फिर भी बताया न गया



मैं वफ़ा कर न सका फिर भी बताया न गया,
आँख में अश्क़ बहुत मुझ से रुलाया न गया ।
हादसे बहुत हुए दिल पे ज़ख्म सह भी लिए,
मौत सदमे से हुई,  खुद को बचाया न गया ।

___________हर्ष महाजन

Saturday, December 21, 2013

बे-वफ़ा हम तो न थे तुमने ऐतबार न किया



बे-वफ़ा हम तो न थे तुमने ऐतबार न किया,
बा-वफाई का ज़िकर हमने बार-बार न किया ।

मुझको छोड़ा भी नहीं, मुझको चाहा भी कहाँ,
कैसे समझूँ कि तूने इश्की कारोबार न किया ।

मेरी कश्ती में बता दे कोई दरार कहाँ,
मुझे डूबना ही तो था फिर भी इंतज़ार न किया ।

अब सवालों की तरह मुझको देखे है क्यूँ भला ,
है मुक़द्दर क्या मेरा, कोई भी बीमार न किया ।

टुकड़ों टुकड़ों में तूने दिल में ज़हर छोड़ दिया,
'हर्ष' बा-वफ़ा ही रहा उसने ऐतबार न किया ।

___________हर्ष महाजन

तू परी है या हूर फिर क्या है अप्सरा


तू परी है या हूर फिर क्या है अप्सरा,
कब तलक दिल ये तुझको पुकारे बता ।
तेरे दिल का चमन तो है पत्थर सनम,
अब कौन तुझको फलक से उतारे बता ।

__________हर्ष महाजन

Wednesday, December 18, 2013

मैं जबसे तुझपे फिदा हुआ



मैं जबसे तुझपे फिदा हुआ,
बेकरार हूँ, मुझे क्या हुआ ।

मैं हैरान उठती चिंगारी से ,
मैं दीया था पर बुझा हुआ ।

तुझे पा के भी तनहा हूँ मैं ,
तू मिला तो है पर खुदा हुआ ।

क्यूँ जुनून मुझ पर तारी था ,
तुझे पाके भी फिर ज़ुदा हुआ ।

किस उम्मीद पर ज़िंदा हूँ मैं,
क्या कहूँ तू दुश्मन सदा हुआ ।

________हर्ष महाजन

मेरे हाथों से लकीरें भी हैं अब गिरने लगीं



मेरे हाथों से लकीरें भी हैं अब गिरने लगीं,
जाने तकदीर मेरी हद से क्यूँ गुजरने लगी ।

_____________हर्ष महाजन

Monday, December 16, 2013

मुझको वो शौक कहाँ, जो तेरी हद में नहीं है शामिल



मुझको वो शौक कहाँ, जो तेरी हद में नहीं है शामिल,
मुझको वो सितम ही बता दे कि तुझको मैं पा तो सकूं ।

___________________हर्ष महाजन

Sunday, December 15, 2013

मेरा इक-इक लफ्ज़ बीते लम्हों का साया है



मेरा इक-इक लफ्ज़ बीते लम्हों का साया है,
बहुत अज़ीज़ है हर ज़ख्म जो उनसे पाया है ।
उतर जाते हैं कभी-कभी अश्क़ इन आखों से,
याद आता जब दिया जाने किसने बुझाया है ।

_____________हर्ष महाजन 

Thursday, December 12, 2013

इक अर्से बाद मुझे शायरी का लुत्फ़ आया है



इक अर्से बाद मुझे शायरी का लुत्फ़ आया है,
हर शेर में उसके शायरी का गुण समाया है ।

ऊला में काफिया और सानी में हम क़ाफ़िया,
बड़ी खूबसूरती से उस पर रदीफ़ सजाया है ।

बहुत तालाश थी मुझे इक ऐसे कलम कार की,
जिसके पास ये ज़हीन तिलिस्मी सरमाया है ।

कितने भी हों ज़ख्म और कितना भी उसमे दर्द,
शायरी का इक टुकड़ा ही उसकी दवा का फाया है ।

कितना मुश्किल था 'हर्ष' ग़ज़ल तक का ये सफ़र,
न जाने कितने रदीफ़, क़ाफ़ियों को आज़माया है ।

_______________हर्ष महाजन

Wednesday, December 11, 2013

बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे

....

बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे,
अंगूर खट्टे हैं हाथ नहीं आने लगे ।
बा-मुश्किल बनाया था जो आशियाँ,
कर्मों के ज़लज़ले खुद उसे ढाने लगे ।

________हर्ष महाजन

अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा

....

अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा,
खुशी तो नहीं उसके क़फ़न की आस लगाता रहा ।
मोहब्ब्त भी की उसने तो फ़क़ीरों की तरह मगर,
बिखरा भी तो इस कदर कि उम्र-भर पछताता रहा ।

___________________हर्ष महाजन

Monday, December 9, 2013

बे-वफ़ा तो है ……


क्षणिका


कितनी
असरदार है तू !
बे-वफ़ा तो है ……
पर दिल में,
अभी भी
बरकरार है तू !!

__हर्ष महाजन

Saturday, December 7, 2013

भूख का ज़िंद से मैंने सौदा भी तो खूब किया



भूख का ज़िंद से मैंने सौदा भी तो खूब किया,
याद को दिल से जुदा कर ज़हर भी खूब पिया ।
भूल कर तनहा तो किया था मैंने ज़रूर उसको ,
मगर वो ज़ालिम थी उसके कहर में खूब जिया ।

___________हर्ष महाजन

कलम चली तो ग़ज़ल बनके वो मचलने लगी



 कलम चली तो ग़ज़ल बनके वो मचलने लगी,
लबों पे  मेरे वो रख लब... शराब पलटने लगी ।
जो देखी मैंने शरारत .....थी उसकी नज़रों में ,
गुनाह जो भी हुआ.... उससे वो बिखरने लगी ।

_____________हर्ष महाजन

Friday, December 6, 2013

उसके इरादे मुझे कुछ नेक नहीं लगते


उसके इरादे मुझे ...........कुछ नेक नहीं लगते,
इश्क़ तो है .....पर दिल दिमाग एक नहीं लगते ।
क्या समझूँ किसको महबूब समझने लगे हैं वो,
दबंग तो हैं, पर इरादो में हो विवेक नहीं लगते ।

________________हर्ष महाजन

Thursday, December 5, 2013

छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे

....

छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे,
मेरे अहसास बन अखियों से उतर जायेंगे ।
कब तलक दर्द से घायल मेरी पलकें होंगी,
फिर वो बन दरिया शहरों में बिखर जायेंगे ।

____________हर्ष महाजन

Wednesday, December 4, 2013

न शिकवा करता हूँ न गिला करता हूँ

------------जनम-दिन -----------

न शिकवा करता हूँ न गिला करता हूँ ,
रहे तू सलामत बस ये दुआ करता हूँ |

उलझन है तुझको दूँ क्या मैं तोहफा,
फूल तो कम है असूल अदा करता हूँ ।

नज़में कुछ ग़ज़लें इब्तदाई सफ़र की
बता दो कहो तुम वही ज़ुदा करता हूँ ।

तुम्हें ज़िन्दगी के सब हौंसिले मुबारक ,
जो अनछुए हैं जज़्बात वही अदा करता हूँ ।

जनम-दिन मुबारक जनम-दिन मुबारक

___________हर्ष महाजन

Monday, December 2, 2013

दिल में तस्वीर जो उसकी पर करूँ न मैं ज़िकर



दिल में तस्वीर जो उसकी पर करूँ न मैं ज़िकर,
उसकी मुस्कान पे निर्भर है मेरी ज़िंद का सफ़र ।
ऐ खुदा तेरा जहां तो .……  है चिरागों का मगर, 
मेरे साहिल के सिवा दुनियाँ में हैं सब ही सिफर ।

_______________हर्ष महाजन

तुझे चाहा था कभी मुझसे बताया न गया



तुझे चाहा था कभी मुझसे बताया न गया,
इश्क़ नासूर बना दिल में दिखाया न गया ।
मै जो तस्वीर लिए घूमा हुँ पलकों में सदा,
तुझे खो के भी तेरा अक्स मिटाया न गया ।  

__________हर्ष महाजन

Sunday, December 1, 2013

तेरी बातें हैं कुछ नदिया तो कुछ बातें समंदर हैं



तेरी बातें हैं कुछ नदिया तो कुछ बातें समंदर हैं,
मुझे इतना तू बतला दे तेरे दिल के क्या अंदर है ।
बहुत पूछा है दुनिया से मुझे पागल ही समझे वो,
मगर ये बात भी सच है ये पागल ही कलंदर है ।

_______________हर्ष महाजन

कुछ मीठे अल्फ़ाज़ों से, मशहूरियत का अंदाज़ा क्यूँ लगा लेते हैं लोग



कुछ मीठे अल्फ़ाज़ों से, मशहूरियत का अंदाज़ा क्यूँ लगा लेते हैं लोग,
शोहरत तो वो ज़ज्बा है जब चाहने वाले उनकी तहरीरों का पता देते हैं ।

_____________________हर्ष महाजन

आजकल अस्त-व्यस्त हो रहा हूँ मैं

!!!!!!-----मेरी फेसबुक----!!!!!!

आजकल अस्त-व्यस्त हो रहा हूँ मैं ,
शायद खुद में.....मस्त हो रहा हूँ मैं ।

फेसबुक पर, क्या खोया क्या पाया,
मनन कर अब ध्वस्त हो रहा हूँ मैं ।

कुछ मिले दोस्त यहाँ कुछ दुश्मन भी ,
छुट जायेंगे, सोच, पस्त हो रहा हूँ मैं ।

कर रहा हूँ शोध खुद कही तहरीरों का,
बस यूँ समझिये आश्वस्थ हो रहा हूँ मैं ।

वक़्त का अम्बार दिया है यहाँ मैनें,
शायद इसीलिए निरस्त हो रहा हूँ मैं ।

चाँद नहीं निकला रात भी ख़तम हुई ,
शायद सूरज सा, अस्त हो रहा हूँ मैं ।

कितना लगता था बुरा 'अलविदा' शब्द,
सही था, इसीलिए तटस्थ हो रहा हूँ मैं ।

आओ कुछ ऐसा कह दें उम्र भर याद रहे ,
कुछ कहूंगा ? सोच पस्त हो रहा हूँ मैं ।

___________हर्ष महाजन