Sunday, January 26, 2014

कैसे बीते सभी को मालूम पैंसठ वर्ष आज़ादी के


कैसे बीते सभी को मालूम पैंसठ वर्ष आज़ादी के,
भूल गए सब वीरों को ज्यूँ दिन उनके बर्बादी के ।


क्या दिन थे जब गूँजा करते जुबां पे नाम शहीदों के,
मगर थी पनपी ऐसी सियासत आ गए दिन मनादी के ।

देख अहिंसा गांधी की फिर राजनीति नेहरू की चली,
सुभाष सरीखे शेखर फिर खेले शोले जांबाजी के ।

राजगुरु बटुकेश्वर दत्त भी हुए शहीद फिर उस रण में ,
जहाँ लिखे संग भगत के नारे अंग्रेजो की बर्बादी के ।

भारत छोडो, भारत छोड़ो , हिन्द का नारा आम हुआ,
बजे बिगुल पर टुकड़ों में जब पाक, हिन्द आजादी के ।

आओ चलो फिर हम प्रण लें सब भारत की अखण्डता पर,
कोई पड़ौसी उठे गर समझो रहे तैयार समाधी के ।

जय हिन्द -----जय भारत ----जय-जय हिंदुस्तान

________________हर्ष महाजन

Friday, January 24, 2014

कोई शख्स मुझे भीड़ का इक हिस्सा बना गया



कोई शख्स मुझे भीड़ का इक हिस्सा बना गया,
टुकड़ा था कभी दिल का अब किस्सा बना गया ।

______________हर्ष महाजन

कश्ती जो कभी दरिया पार करवाती थी मुझे


कश्ती जो कभी दरिया पार करवाती थी मुझे,
किस तरह लहरों संग मिल गयी है वो आज ।

___________हर्ष महाजन

मेरी खामोशी के…..दीये भूल न जाना



मेरी खामोशी के…..दीये भूल न जाना,
कभी वक़्त मिले मेरे पास चले आना ।
कितने दर्द से...भर चुका है ये माहौल ,
बस आखिरी है दरख्वास्त चले आना ।

_________हर्ष महाजन

Sunday, January 19, 2014

नफरत से तेरी टूटा मेरा दिल बता कहाँ है



नफरत से तेरी टूटा मेरा दिल बता कहाँ है,
तुझसे खफा नहीं हूँ बस टुकड़े बता जहाँ हैं ।
कैसे बिका था तेरा ये ज़मीर खुदा ही जाने,
 
तुझसे जो बिछुड़ा था दिल जाने अब कहाँ है । 

____________हर्ष महाजन

Wednesday, January 15, 2014

थे अपने पर, मगर नया ज़ख्म लगाने आये वो



थे अपने पर, मगर नया ज़ख्म लगाने आये वो ।
कितने थे हम गलत कि हमसे निभाने आये वो ।
मिटटी के काफिलों पे सजाया था हमने आशियाँ,
छायी घटा फलक पे तो हमको दिखाने आये वो ।


_________________हर्ष महजन 

Saturday, January 11, 2014

ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी



ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी,
पर जिसे देखता हूँ वो उसी का हाल पूछता हैं मुझसे ।
मोहब्बत में अब खौफ सा क्यूँ होने लगा है मुझे 'हर्ष',
वो बे-वफ़ा तो नहीं दिल यही सवाल पूछता है मुझसे । 


____________हर्ष महाजन
 

Friday, January 10, 2014

किस तरह तक़सीम किया है तूने ये इश्क़ ऐ मौला



किस तरह तक़सीम किया है तूने ये इश्क़ ऐ मौला,
किसी के हालात समंदर,  किसी के अश्क़ ऐ मौला ।

______________हर्ष महाजन

Thursday, January 9, 2014

दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है



दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है,
मेरा वज़ूद खुद मुझ से खफा हो गया है ।
जाने किस तरह काफूर हुई दिल से चाहत,
आँख का हर इक कतरा बे-वफ़ा हो गया है । 

____________हर्ष महाजन

Tuesday, January 7, 2014

नफरत की धूप अब पड़ने लगी है




नफरत की धूप अब पड़ने लगी है ,
तजुर्बात भी मात पकड़ने लगी है ।
हालात हुए जो गिरगिट की तरह,
यक़ीनन वो दिल से उतरने लगी है ।
_______हर्ष महाजन

Friday, January 3, 2014

मुझे इल्म था कि तुम यूँ ही छोड़ जाओगे मुझे तनहा



मुझे इल्म था कि तुम यूँ ही छोड़ जाओगे मुझे तनहा ,
मगर इक दीया जाने किसका जल रहा है दिल में मेरे । 


________________हर्ष महाजन