Wednesday, February 26, 2014

उनकी आधी ज़िंदगी तो बस हिसाब किताब में निकल गयी



उनकी आधी ज़िंदगी तो बस हिसाब किताब में निकल गयी,
तजुर्बात का हिसाब बिगड़ा तो बाकी जवाब में निकल गयी ।

___________________हर्ष महाजन

Saturday, February 22, 2014

लड़कपन में बचपन संग बीता जवानी में क्यूँ भूख ज्यादा है



लड़कपन में बचपन संग बीता जवानी में क्यूँ भूख ज्यादा है,
मेरा हलक अब, बातों से उनकी, न जाने क्यूँ सूख जाता है।
काज़ल बिखरा ज़ुल्फ़ें भी बिखरीं बिखरा हुआ अब सावन है,
दिल में छुपा हर नगमा वो जाने चुपके से क्यूँ कूक जाता है ।

_________________हर्ष महाजन

Friday, February 21, 2014

हर पोस्ट पर वाह-वाह करूँ, मेरा शौक नहीं है,


हर पोस्ट पर वाह-वाह करूँ, मेरा शौक नहीं है,
मगर जिसमें अहसास भरपूर हों रोक नहीं है ।


लिखने वाले गर सिर्फ पोस्ट करने हेतु लिखें,
लाईक ज़बरदस्ती करूँ, ऐसा भी लोक नहीं है ।


मगर यहाँ कुछ अपने भी हैं और कुछ पराये भी,
उन्हें बुरा न लगे मुझे कुछ ऎसी भी टोक नहीं है ।


मुझे कुछ आता नहीं पर कोशिश रोज़ करता हूँ,
ग़ज़ल कह, जानता हूँ बन्दिश की छोंक नहीं है ।


अच्छी लगे तो आप उसपे लाईक करें या कमेंट ,
यही है इल्तिज़ा मेरी, सच में, कोई जोक नहीं है ।


______________हर्ष महाजन

Friday, February 14, 2014

शख्स कभी वो, दिल से उतर जाए, तो चले आना



शख्स कभी, वो दिल से उतर जाए,  तो चले आना ।
अक्स मेरा, गर आँखों में,उभर आये तो चले आना,
लकीरें तो बहुत बदलीं........मेरे हाथों में मुक़द्दर ने ,
कोई लकीर खुदा..... तेरी बदल पाये तो चले आना ।

________________हर्ष महाजन

Sunday, February 2, 2014

दहलीज़ जहां पर मुर्दों ने आतंक बना अब छोड़ा है

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दहलीज़ जहां पर मुर्दों ने आतंक बना अब छोड़ा है,
संग कलम अहसास से अपने काट नया ये फोड़ा है ।

धरने पे धरना डाल यहाँ, लहू अमन का निचोड़ा है ,
नाल हटा दो खुरों की इनके,  नया-नया ये घोड़ा है ।

वोट बैंक पर घातक हमला, पुराने खिलाड़ी चूक गए ,
कलम करो सब झूठ सभी जो आम जनों में छोड़ा है ।

उठो शहीदो कब्र से अब तुम, भोगी नेता मुर्दार हुए ,

करो हिन्द आज़ाद तुम अपना, इनपे वक़्त भी थोडा है |
भ्रष्टाचार के नाम पे उठते आम जनों को देख लिया,
लूट लिया विश्वास वक़्त भी दिल हर जन का तोडा है ।

______________हर्ष महाजन

कैसे दर-किनार करूँ , दिल से तुझे प्यार करूँ



कैसे दर-किनार करूँ , दिल से तुझे प्यार करूँ ,
मुझको समझाया बहुत फिर भी बार-बार करूँ ।

खुद को तनहा भी किया,  ज़ख्म नासूर भी हुए,
दुनियाँ जालिम भी कहे,   कहे तो इकरार करूँ ।

तुने इश्क़ बदले बहुत, मगर उसे समझा नहीं,
कहर उसमें जो सहा ,  कहो तो इज़हार करूँ । 

वैसे तो अच्छा ही हुआ, तू जो बेवफा ही हुआ ,
लबों पे हैं नाम बहुत,  क्यूँ मैं अश्क़बार करूँ ।

मौत का खौफ नहीं, ग़मों का संग था जो तेरा,
आखिर थाम लूँगा तुझे, क्यूँ न ऐतबार करूँ ।

______________हर्ष महाजन

Saturday, February 1, 2014

तूने तो शायद रिश्ते का रुख ही मोड़ दिया,



तूने तो शायद रिश्ते का रुख ही मोड़ दिया,
टुकड़े-टुकड़े कर दिल फिर उसे मरोड़ दिया । 
बे-वफाई की तुझे लगा महारत हासिल है ,
प्यार हमसे,पर दिल कहीं ओऱ जोड़ दिया ।

_____________हर्ष महाजन