Wednesday, April 30, 2014

गम से रहा गाफिल जो शख्स खुश है खबर आने लगी


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गम से रहा गाफिल जो शख्स खुश है खबर आने लगी,
है चोट चेहरे की सिलवटों में मगर नज़र आने लगी ।
कुछ दिन शहीदों की कब्र पर अब और जलेंगे दीप यहाँ,
क्या हुआ सियासती दौर को जो नस्ल इधर आने लगी ।

--------------हर्ष महाजन

Tuesday, April 22, 2014

क्या उदास नगमों का राज़ था टुकड़ों में दिल का साज़ था


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क्या उदास नगमों का राज़ था, टुकड़ों में दिल का साज़ था,
मैं हैरान हूँ इस बात पर मेरे दिल पे किस का राज़ था।
मैं हूँ झौंका इश्की बहार का, मुझे इल्म न था इज़हार का,
मेरे ज़ख्म ज़िसने हरे किये, मेरे दिल का वो हमराज़ था ।

----------------हर्ष महाजन

KishtoN meiN rishtoN ko tum nibhate ho kyuN


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KishtoN meiN rishtoN ko tum nibhate ho kyuN,
Dil ko karke yuN ghayal sataate ho kyuN.

Zindagi ne kyuN chaha wahi dil khuda,
Jis meiN bhar kar mohabbat hataate ho kyuN.

KaliaN khilti nahiN gar murjha jaayen to,
Be-wafa dost phir tum banate ho kyuN.

Khud hi jaalim kisi ko kaheN bhi toh kya,
Khud bana kar gharoNda phir dhaate ho kyuN.

YuN tadpnaa, tadap kar phir rona bhi kyuN
Gar mohabbat nahiN phir jataate ho KyuN.

-----–-----------Harash Mahajan

Monday, April 21, 2014

दर्द दिल में था उठा, साँस मुझसे रूठ गयी



दर्द दिल में था उठा, साँस मुझसे रूठ गयी,
जिसे मुद्दत से था चाहा वो मुझसे छूट गयी ।

दिल में यादों की तरह आँख में आंसू की तरह,
मैं तो जी लेता मगर साँसें मुझसे लूट गयी ।

हमने देखा नहीं नदिया में कभी उठता भंवर,
आज लहरों पे इन के मेरा गला घूँट गयी ।  

मैंने बरसों से सहे दर्द अश्क़ ज़ब्त किये
आज जो दे दिए हैं ज़ख्म गगरी फूट गयी ।

मुझे गम मौत का नहीं मेरे ओ जाने जिगर,
मुझे गम है कि ज़िंदगी ही मुझसे रूठ गयी ।


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Dard dil mein tha utha saans mujhse rooth gayii
Jise muddat se kabhi chaha mujhse chhoot gayii.

Dil meiN yaadoN ki tarah ankh meiN aansoo kitarah
MaiN to ji leta magar saanseN mujhse loot gayii.

Hamne dekha nahiN nadiya meiN kabhi uthta bhanwar,
Aaj lahroN pe in ke mera galaa ghoont gayii.

Maine barsoN se sahe dard, Ashq zabt kiye,
Aaj jo de diye haiN zakhm gagrii phoot gayii.

Mujhe gam mout ka nahiN mere o jaane zigar,
mujhe gam hai ki zindagii hii mujhse rooth gayii.


________________Harash Mahajan

Thursday, April 17, 2014

कितना मुश्किल था मेरे दिल की.....दरारों से यूँ चले आना 'हर्ष'

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कितना मुश्किल था मेरे दिल की
.....दरारों से यूँ चले आना  'हर्ष',
मगर क्या कहूँ कितना हुनर रखते हो तुम दिल में उतर जाने का ।


Bada mushqil tha mere dil ki dararoN se yuN chale aana 'Harsh'
Magar kya kahu kitna hunar rakhte ho tum dil me utar jaane ka.

__________________Harash Mahajan

किस तरह बंद जाता है इन्सां प्यार में

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किस तरह बंद जाता है इन्सां प्यार में,
कुछ भी तो नहीं रहता फिर अख्तियार में ।
उम्र भर का साथ सोच
तो लेता है मगर ,
सदियाँ बिता देता है उसके इज़हार में ।

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Kis tarah band jaata hai insa pyaar meiN
Kuch bhi toh nahi rehta phir akhtiyaar meiN.
Umra bhar ka saath soch to leta hai magar,
SadiyaN bita deta hai uske izrahaar meiN.

---–---------–-Harash Mahajan

उस शख्स ने प्यार में कुछ ऐसे प्रश्न कर डाले

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उस शख्स  ने प्यार में कुछ ऐसे प्रश्न कर डाले,
रातों की नींदें छीनी और छीने मुँह के निवाले ।

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 Us shaks ne pyaar meiN...........kuch aise prashn kar daale,
RaatoN ki neendeiN Chheeni our chheene muh ke niwaale.

-------------------Harash Mahajan

प्यार में शक की गुंजाईश कहाँ होती है

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प्यार में शक की गुंजाईश कहाँ होती है,
  गैरों में हक की नुमाईश कहाँ होती है ।
बन रहा दिल में अगर कोई आशियाँ उनका,
फिर दरारों की ....पैमाईश कहाँ होती है ।

__________हर्ष महाजन

Monday, April 14, 2014

मैं तो अजनबी था फिर भी तुम हाथों में ढ़ूढते क्यूँ

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मैं तो अजनबी था फिर भी तुम हाथों में ढूँढ़ते क्यूँ ,
मैं तो खुद लकीर हाथों की बन तुझ में सज गया हूँ ।

______________हर्ष महाजन


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MaiN to ajnabi tha phir bhi tum haathoN meiN dhoodhte kyu,
MaiN to khud lakeer haathoN kii ban tujh meiN saj gaya huN.


________________Harash mahajan

Sunday, April 13, 2014

किस तरह मान लूँ कि वो शख्स रुक्सत हो जाए

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किस तरह मान लूँ कि वो शख्स रुक्सत हो जाए,
मेरी रगों में, खोलते खून की.…वज़ह वही तो है ।

____________हर्ष महाजन

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Kis tarah maan looN ki wo shaks ruksat ho jaaye,
Meri ragoN me kholte khoon ki wazeh wahi to hai

___________Harash Mahajan

Saturday, April 12, 2014

बहुत कायल हूँ मैं उसका, मगर बुलाना नहीं चाहता

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बहुत कायल हूँ मैं उसका, मगर बुलाना नहीं चाहता,
सच तो ये है दर्द की महफ़िल मैं सजाना नहीं चाहता ।

बहुत सोचता हूँ कहीं दफ़न कर दूँ  इन अहसासों को,
मगर इतना भी तो ज़ुल्म अब मैं ढाना नहीं चाहता ।

कुछ तो उसका भी हक है अपनी बात कहने का यहाँ,
फिर भी असल बात अब कोई मैं बताना नहीं चाहता ।

प्यार तो बहुत है आपस में कभी कहते है कभी नहीं,
मगर दिल से कोई भी बात मैं  छुपाना नहीं चाहता ।

गुलशन में गुलों को तोड़ना अच्छा नहीं लगता 'हर्ष',
मैं असल बात दुनिया को अब सुनाना नहीं चाहता ।

------------------हर्ष महाजन
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Bahut kaayal huN maiN uska magar bulaana nahiN chahta,
Sach to ye hai dard ki mehfil maiN sajana nahiN chahta.

Bahut Sochta huN kahiN dafan kar dooN in ehsaasoN ko,
Magar itna bhi to zulm ab maiN dhana nahiN chahta.

Kuch to uska bhi haq hai apni baat kehne ka,
Phir bhi asal baat ab koii maiN bataana nahiN chahta.

Pyaar to bahut hai aapas meiN kabhi kehte haiN kabhi nahiN,
Magar dil se koii bhi baat maiN chhupana nahiN chahta.

Gulshan meiN guloN ko todna acchha nahiN lagta 'Harash',
MaiN asal baat ab duniyaaN ko sunana nahiN chahta.

__________________Harash Mahajan

देखते ही देखते शेरांवाली का मंजर बना

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देखते ही देखते शेरांवाली का मंजर बना,
बारूद सा उठा जयकारा मेरे अंदर बना ।
जानी पहचानी थी रहमत पहाडाँवाली की,
जिस्म मेरा न रहा ज्योतों का समंदर बना ।

-------------हर्ष महाजन

मेरी तन्हाइयों में जब-जब इल्लत बन सताती है वो

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मेरी तन्हाइयों में जब-जब इल्लत बन सताती है वो,
मुजरिम हूँ उसका जब-तब अजनबी बन बताती है वो ।
कब तलक उसके दिल की सरहदों पर चलेगा पहरा,
मंजिल है मेरी यही तोहमत बार बार हटाती है वो ।

--------------हर्ष महाजन




Meri tanhaaiyoN meiN jab-jab illat ban sataati hai wo,
Muzrim huN uska jab-tab ajnabi ban batati hai wo.
Kab talak uske dil kii sarhadoN par chalega pahra,
Manzil hai meri yahi tohmat baar-baar hataati hai wo.

___________Harash Mahajan

कितने अरसे बाद मेरे दिल की सरहदों पर अहसास उठे हैं

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कितने अरसे बाद  मेरे दिल की सरहदों पर अहसास उठे हैं,
बहुत उदास हूँ आजकल कुछ लम्हे अभी तक मुझसे रूठे हैं ।

________________हर्ष महाजन





Kitne arse baad mere dil ki sarhadoN par ahsaas utheN haiN,
Bahut udaas huN aajkal kuch lamhe abhi tak mujhse roothey haiN.

________________Harash Mahajan

दिल की सरहदों पर मुआमले हमेशां उलझा करते हैं

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दिल की सरहदों पर मुआमले हमेशां
उलझा करते हैं,
ये तो मकसद हैं दिलों के दिलों में ही सुलझा करते हैं ।

____________हर्ष महाजन



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Dil ki sarhadoN par muamle hameshaN uljha karte haiN,
Ye toh maksad haiN diloN ke diloN meiN hi suljha karte haiN.


___________Harash Mahajan

न जाने मेरी सरहदों को कब पार कर लिया उसने

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न जाने मेरी सरहदों को कब पार कर लिया उसने,
अनजाने में ही इक नयी दुनिया बसा ली है मैंने ।

-----------हर्ष महाजन

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Na jaane merii sarhadoN ko kab paar kar liya usne,
Anjaane meiN hi ik nayi duniyaaN basaa lii hai maine.

__________Harash Mahajan

खुदा का फज़ल है जो उसने दिलों की सरहदें बना डाली

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खुदा का फज़ल है जो उसने दिलों की सरहदें बना डाली,
मगर उस  की मर्जी बिना कहाँ दखल इन्सां का होता है ।

________________हर्ष महाजन


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Khuda ka fazal hai jo usne diloN kii sarhadeN bana daalii,
Magar Us ki marzi bina kahaN dakhal InsaaN ka hota hai.

_____________Harash Mahajan


अपने दिल की सरहदों पर उसने इस तरह बाढ़ लगाई है

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अपने दिल की सरहदों पर उसने इस तरह
बाढ़ लगाई है,
मेरे अहसासों पर न जाने कितनी असरदार चोटें आयी है ।

__________हर्ष महाजन

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Apne Dil ki sarhadoN par usne is tarah baaRh lagaayii hai
Mere ahsasoN par na jaane kitni asardaar choteN aayii haiN.

_________Harash Mahajan

शायरी का कलमकार से सिर्फ इतना सा वास्ता होता है

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शायरी का कलमकार से सिर्फ इतना सा वास्ता होता है, 
कागज़ पर जब भी लिखता है फकत इक हादसा होता है ।


------------हर्ष महाजन

मोहब्बत में अंदर ही अंदर अब पिसने लगी है वो

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मोहब्बत में अंदर ही अंदर अब पिसने लगी है वो,
जालिम है मेरे दिल के दरीचों से रिसने लगी है वो ।

-------------हर्ष महाजन

Thursday, April 10, 2014

कितने असद व्यापार होते हैं दिलों के, सब के बस की बात नहीं है

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कितने असद व्यापार होते हैं दिलों के, सब के बस की बात नहीं है,
इश्क का मसौदा है ये समझ सको तो ऎसी कोई सौगात नहीं है ।

----------------------हर्ष महाजन

उससे मुहब्बत तो बहुत करता हूँ पर इबादत नहीं

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उससे मुहब्बत तो बहुत करता हूँ पर इबादत नहीं,
ज़िन्दगी का ख्याल भी करता  हूँ पर इनायत नहीं ।
बहुत हुआ दर्द जब देखे मैंने गैरों के आंसू उसमें,
नफरत भी करता हूँ उससे बहुत पर शिकायत नहीं ।

-----------------हर्ष महाजन

Tuesday, April 1, 2014

जब से वो फलक से मेरे ख्वाबों में उतरने लगी

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Jab se wo falak se  mere khwaab meiN utarne lagi
Mere haathoN ki lakeereiN bhi khud sanwarne lagi.
Unse mlne ki dua .................lab pe ab na aa jaaye
Unki tasweereiN........ diwaaroN pe thi ubharne lagi.

जब से वो फलक से मेरे ख्वाबों में उतरने लगी,
मेरे हाथों की लकीरें भी........खुद सँवरने लगी ।
उनसे मिलने की दुआ....लब पे अब न आ जाए ,
उनकी तस्वीरें........दीवारों पे थी  उभरने लगीं ।

_________हर्ष महाजन