Saturday, August 30, 2014

आज फलक से नीचे उतर आया हूँ

...

आज फलक से नीचे उतर आया हूँ,
मुद्दत बाद मैं.....अपने घर आया हूँ | 

कितना तडपा हूँ परों को समेटने में,
मगर लगा होकर दर-बदर आया हूँ | 


जिनके दिलों में था नाम ‘हर्ष’ तेरा,
शायद उन दिलों से निकल आया हूँ |


मुक्त हुआ तो हूँ बेशक काम-काज से,
मगर अपने वजूद से बिखर आया हूँ |


शक नहीं वजह तो होगी उनके पास,
ख़त जिन दिलों पे मैं लिख कर आया हूँ |


____________हर्ष महाजन

Thursday, August 28, 2014

जो दुखे नहीं वो दिल नहीं

...

जो दुखे नहीं वो दिल नहीं,
जो जले नहीं साहिल नहीं |

कभी भूलकर भी भूल सकूं,
इतना भी मैं संगदिल नहीं |

दिल की वफ़ा नापेगा कौन,
मुझ सा कोई, कातिल नहीं |


मुझको यकीं नहीं इश्क पर,
कभी हो सका, हासिल नहीं |

कैसे सुनूं, दिल की धड़कने,
कभी हो सका दाखिल नहीं |

________हर्ष महाजन


.
एक तरही ग़ज़ल

Wednesday, August 27, 2014

जुबां पर अभी थे, अब जाने किधर हैं



...
जुबां पर अभी थे.. अब जाने किधर हैं ,
ये लफ्ज़-ए-महोब्बत ...हुए दर-बदर हैं
|


उधर तू भी चुप है इधर मैं भी चुप हूँ ,
ऐ दिल दोस्तों में......ये कैसा सफ़र है |



न रिश्ता कोई अब.....दिया है न बाती, 
मगर जल रहा है...तो किसका हुनर है |

 
मिले न कभी दिल भी धड़का न लेकिन,
मुझे उसका, उसको मेरा क्यूँ फिकर है |


वो खुश ज़िन्दगी में,मैं खुश हूँ मगर क्यूँ,
अब हर बात में जाने उसका ज़िकर है |
 


___________हर्ष महाजन

... मेरा दोस्त नहीं दुश्मन नहीं इसी बात का तो मलाल है


...

मेरा दोस्त नहीं दुश्मन नहीं इसी बात का तो मलाल है,
क्यूँ दिल पे गुजरी है मेरे, मेरा खुद से इतना सवाल है | 


__________________हर्ष महाजन
 

Monday, August 25, 2014

गम जुदाई का था हम उम्र-भर रोते रहे

... 

गम जुदाई का था हम......उम्र-भर रोते रहे,
बे-वफ़ा निकले वो......बदनाम हम होते रहे |
अनकहा दिल में
रहा ,मुझसे कभी पूछे कोई,
दाग दिल पे था मगर, आईना हम धोते रहे | 

_______________हर्ष महाजन

मैं था दीवार पे शीशे में था तस्वीर जड़ा

...


मैं था दीवार पे शीशे में.............था तस्वीर जड़ा,
जिसे चाहा था वो हैराँ सा........ज़मीं पर था खड़ा |
हाल-ए-दिल के थे कई फासले......जो तय न हुए,
फिर भी हालात-ए-भंवर से था मैं फिर बहुत लड़ा |

_______________हर्ष महाजन

वो कफन बेच के पाले है यहाँ अपना ये बदन

...

वो कफन बेच के पाले है.......यहाँ अपना ये बदन,
अब खरीदार वही आएगा....जिसका उजड़ा वतन |
ऐ खुदा ऐसा कुछ करना......तू कभी उसपे करम,
गर दुआ मांगे भी उजड़े न फिर उसका भी चमन |

____________________हर्ष महाजन

Sunday, August 24, 2014

:एक क्षणिका:

...

:एक क्षणिका:
_________
_
|
|

जिस पल
उसने
आँचल से
मुझे उतार दिया |
यूँ लगा !!
ज्यूँ ............
भर हुंकार
खुदा ने
वापिस पुकार लिया !!

~~०~~

____हर्ष महाजन

क्या कहूँ उनको जो वो गर्म धुंआ करते हैं

...

क्या कहूँ उनको जो वो गर्म धुंआ करते हैं,
आके मंजिल के करीब इश्क रवां करते हैं |
जब कभी उठे है आँखों में समंदर सा भंवर,
सूखे अधरों पे खिजाँओं को फिज़ां करते हैं |

___________हर्ष महाजन

जब तसव्वुर में तुम बन ख्वाब इधर आओगी

...

जब तसव्वुर में तुम बन ख्वाब इधर आओगी,
है यकीं मुझको मेरी....बन के जिगर आओगी |
गर यूँ भूले से कभी.....गैरों का चर्चा भी किया,
मेरी आँखों से तुम....बन अश्क उतर आओगी |

____________हर्ष महाजन

Friday, August 22, 2014

कतरा-कतरा ढूंढ-ढूढ़ रिश्ते संजोया किये था मैं

...

कतरा-कतरा ढूंढ कर.....रिश्ते संजोया किये था मैं,
रफ्ता-रफ्ता कब्र में खुद......कांटे बोया किये था मैं |

__________________हर्ष महाजन

उनकी बे-रुखी ने मुझे इस कदर मशहूर कर दिया

...

उनकी बे-रुखी ने मुझे इस कदर मशहूर कर दिया,
कि वफ़ा करने वालों से.....परेशान होने लगा हूँ मैं |

____________________हर्ष महाजन

हज़ारों मर्तबा परखा है मैंने हुस्न को सौगवारों में

...

हज़ारों मर्तबा परखा है मैंने हुस्न को सौगवारों में ,
मगर मेरी मोहब्बत का हासिल....बस तू ही तो है |


____________________हर्ष महाजन

प्यार बांटने का वक़्त अब निकल चुका है 'हर्ष',

...
प्यार बांटने का वक़्त अब........निकल चुका है 'हर्ष',
नफरतों का सिलसिला आजकल खूब रूआब पर है |
____________________हर्ष महाजन

Tuesday, August 19, 2014

लोग जज्बों की....यहाँ कदर कहाँ करते हैं

...

लोग जज्बों की....यहाँ कदर कहाँ करते हैं,
हम भी फिर दर्द कहाँ अपना जुबां करते हैं |
रूखापन उनका कहीं ज़ख्म न फानी करदे,
इन गहरे ज़ख्मों से हम उम्र धुंआ करते हैं |

_______________हर्ष महाजन

Monday, August 18, 2014

कुछ पुराने मेरे ख़त पढ़ के रोई जाती है

...

कुछ पुराने मेरे ख़त.......पढ़ के रोई जाती है,
कम्बखत याद मुझे भी.....तो बहुत आती है |
उसके इल्जाम यूँ दिल पे पड़े खंजर से मगर,
है शमा ज़िंदा........दिया मैं हूँ तो वो बाती है | 

____________हर्ष महाजन

जिसने झेलें हैं वतन के लिए सरहद पे सितम

...

जिसने झेलें हैं वतन के लिए सरहद पे सितम,
अब तलक ज़ख्म वो.....ओरों के सिये जाते हैं |
अब सियासत भी खडी..उनपे दीवारों की तरह,
पाँव किरदारों पे रख........तगमें लिए जाते हैं |

___________________हर्ष महाजन

न ही किरदार से तेरे मुझे नफरत है कोई



...

न ही किरदार से तेरे मुझे...कोई नफरत है,
और न शक है कोई और न मेरी फितरत है |
हमने देखे हैं वो, मंज़र कई..रूठ जाने बाद,
अब न तस्वीर तेरी....बिगड़े मेरी हसरत है |

_______________हर्ष महाजन

Sunday, August 17, 2014

भूली बिसरी तेरी बातों को भुलाऊँ कैसे



...

भूली बिसरी तेरी बातों को भुलाऊँ कैसे,
तेरी गलियों को अब छोड़ मैं जाऊँ कैसे |
इन फिजाओं में जो महके है ये इश्क तेरा,

मुझको अब लोग ये पूछें तो बताऊँ कैसे |

_______________हर्ष महाजन