Friday, November 14, 2014

कितने अजब से...खयालात हैं...उस शख्स के



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कितने अजब से...खयालात हैं...उस शख्स के,
सहरा में.......घर बसाने की......बात करता है | 

सदियों से खुश्क थीं आँखें जिसकी नफरत से,
आज अश्कों में......नहाने की बात.....करता है |


सुफिआना इल्म..........बेहिसाब है उसके पास,
मगर आज वो.........मैखाने की बात करता है | 


इश्क जिसे नफरत का पैमाना कहा था कभी,
जुल्फों में फूल........सजाने की बात करता है |


पूछा नहीं जिसने खुदा को भी किसी जुर्म में,
दिल धड़का तो.......ज़माने की बात करता है |


_______________हर्ष महाजन

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