Monday, February 2, 2015

कुछ रिश्ते तू ही संवार दे

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कुछ रिश्ते तू ही संवार दे,
हूँ ज़ख्मी तू ही करार दे |
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जिन रिश्तों पे कभी नाज़ था,
ऐ खुदा तू उनको निखार दे |

है अना की कीमत इतनी क्या ?
जो फलक, धरा पे उतार दे |

है इल्तिजा किसी शाम को,
तू अपना प्यार बेशुमार दे |

इक दूजे को हों अज़ीज़ सब,
कुछ ऐसा सबको हिसार दे |

अत हद हुई है कदम-कदम,
तू ही इम्तिहान से गुज़ार दे |

जिसे इल्म न था पर लुट गया,
ऐ खुदा अब इतना प्यार दे |


_______हर्ष महाजन


हिसार = power to bear
धरा = ज़मीं

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