Saturday, March 28, 2015

मुखत्सिर लफ़्ज़ों में जो बात मुझको बोल गया



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मुखत्सिर लफ़्ज़ों में जो बात मुझको बोल गया,
दिल समंदर जो मेरा.....बन के भंवर डोल गया |
हुआ रुक्सत वो मगर मुझको सफ़र ऐसा मिला,
उम्र-भर का था वो बंधन, पर मगर खोल गया |

____________हर्ष महाजन

Friday, March 27, 2015

तुझको देख यहाँ हँस रहा हूँ ज़रू

नज़्म
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तुझको देख यहाँ.........हँस रहा हूँ ज़रूर,
तुझपे मरता हूँ.......ये न समझना हजूर |
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मैं हूँ खुदगर्ज़ भी........मतलबी भी बहुत,
इल्तिजा अर्थी संग.....मेरी चलना ज़रूर |
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रूह सिजदा किये........रात-दिन अब तेरा,
पर करूँ नित नए......करम होके मजबूर |
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अब समंदर की कब से........तलाश मुझे,
कर दो मिटटी दे दो......चार काँधे हजूर |
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मैं भटकता हूँ सदियों से.........संसार में,
अब तजूं जग मैं तेरा तो मिलना ज़रूर |
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________हर्ष महाजन

Friday, March 20, 2015

गर इशारों में जो होती महोब्बत की ज़मीं


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गर इशारों में जो होती......महोब्बत की ज़मीं,
तो यकीनन अल्फासों को.......शिकायत होती |
हर वो पत्थर के मुक़द्दर....में नहीं होना खुदा,
फिर वो पत्थर से दिल पे क्यूँ इनायत होती |

____________हर्ष महाजन 

Thursday, March 19, 2015

ये रंजिशें कोई पी क्यूँ नहीं लेता अब किसी भंवर की तरह

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ये रंजिशें कोई पी क्यूँ नहीं लेता अब किसी भंवर की तरह,
ये बद्नसीबियाँ कब तलक रहेगी हाथों की लकीरें बनकर | 

___________________हर्ष महाजन

दिल को हाशिये पर रख मैं जब जब चला

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दिल को हाशिये पर रख मैं जब जब चला,
मुहबब्त का असर बातों में तब तब चला |

______________हर्ष महाजन

कितनी जद्दो-जहद की मैंने ज़िन्दगी के मसले सुलझाने में



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कितनी जद्दो-जहद की मैंने ज़िन्दगी के मसले सुलझाने में,
मगर रंजिश उसके दिल की तबाह हो तो फिर कोई बात बने |


_____हर्ष महाजन

Monday, March 16, 2015

किस तरह दिल के दरीचों से निकलता है

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किस तरह दिल के दरीचों से निकलता है,
इक अरमान है बस तेरे लिए पिघलता है ।


------------------हर्ष महाजन

Tuesday, March 3, 2015

मेरे किरदार में उसका...ज़िक्र तक नहीं रहा कभी

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मेरे किरदार में उसका...ज़िक्र तक नहीं रहा कभी,
जाने फिर क्यूँ खुशफ़हमी का शिकार है वो शख्स |

_____________हर्ष महाजन

मुद्दतों बाद रुख किया है आज शायरी का मैंने

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मुद्दतों बाद रुख किया है आज शायरी का मैंने,
जाने ये ज़ख्म फिर से क्यूँ मुस्कराने लगे हैं |

_____________हर्ष महाजन

ऐ दिल कब तलक तू यूँ ही तडपता रहेगा,

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ऐ दिल कब तलक तू यूँ ही तडपता रहेगा,
तेरे जज़्बात कुछ और हैं, उनके कुछ और |

_____________हर्ष महाजन

रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',

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रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',
लफ़्ज़ों के दरमियाँ समझने को और कुछ भी है |

________________हर्ष महाजन

रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',

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रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',
लफ़्ज़ों के दरमियाँ समझने को और कुछ भी है |

________________हर्ष महाजन

यूँ ही मेरी चाहत को.....वफ़ा का नाम क्यूँ दे रहे हो 'हर्ष',

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यूँ ही मेरी चाहत को.....वफ़ा का नाम क्यूँ दे रहे हो 'हर्ष',
इज्ज़त के नाम पर बस ये जान ही तो लुटाई है तेरे लिए |

__________हर्ष महाजन

इतना भी न कर गरूर अपने किरदार पर 'हर्ष',

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इतना भी न कर गरूर अपने किरदार पर 'हर्ष',
ये अंदाज़ अक्सर खुद को तनहा कर जाता है |

_____________हर्ष महाजन

कह दो ऐ तंग-ए-दिल कि अब याद नहीं करेंगे कभी

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कह दो ऐ तंग-ए-दिल कि अब याद नहीं करेंगे कभी,
किताब-ए-इश्क में ग़लतफ़हमियां तो और हैं अभी |
______________हर्ष महाजन