Thursday, May 14, 2015

मुझे फिर बदहवास न करना तुम ख्वाबों में आकर



...

मुझे फिर बदहवास न करना तुम  ख्वाबों में आकर
,
बा-मुश्किल चिराग-ए-दिल अपना शांत किया है मैंने  |

________________________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment