Wednesday, July 22, 2015

बरबादियों की...रुदाद ग़ज़ल

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बरबादियों की...रुदाद ग़ज़ल,
बदनामियों का जवाब ग़ज़ल |

हो अजब सी दास्ताँ हुस्न गर,
ज़ख्मों भरी है अज़ाब ग़ज़ल |


ज़िंद से जहाँ हो....गिला बहुत ,
दर्द-ए-निहाँ सी सवाल ग़ज़ल |


बेताबियों का हो......सबब जहाँ,
लबरेज़ हुस्न-ओ-ज़माल ग़ज़ल |


आँखों में अनहद अश्क हो जब,
महरूमियत की मिसाल ग़ज़ल |


हर्ष महाजन



  रुदाद =कहानी

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