Wednesday, May 25, 2016

सिर्फ इक ज़िक्र तेरा.........मेरे लम्हें रौशन

...

सिर्फ इक ज़िक्र तेरा.........मेरे लम्हें रौशन,
हो अगर संग-ए-सफ़र....तमाम राहें रौशन |
कैसे वादा करूँ शहर में क़त्ल-ए-आम न हो,
बे-नकाब हुस्न तेरा......और निगाहें रौशन |

_______________हर्ष महाजन

Tuesday, May 24, 2016

भूला नहीं हूँ

...

भूला नहीं हूँ,
 पल-पल
---दिल पर ज़ियादती तेरी,
दोस्त
------अनजान राहों से,
 मुझे कभी कोई
----सरोकार नहीं रहा ।

–---हर्ष महाजन