Sunday, June 12, 2016

ऐ सनम तुझपे इतना नूर किधर से आता है

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ऐ सनम तुझपे इतना नूर किधर से आता है,
है फलक पर भी वो चन्दा उधर शरमाता है ।

तेरी साँसों की कसम मुझको हवाओं की कसम,
तेरे हर नक्श में हमदम सा नज़र आता है |

हर्ष महाजन

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