Sunday, December 25, 2016

ये कैसा दौर चल निकला

...

रिश्तों में
अब अहसासों का,
ये कैसा दौर चल निकला,
किसी ने.......
संवारने में ज़िन्दगी लगा दी,
कहीं पिटारी में...
नफरतों का बम निकला ।


------हर्ष महाजन

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