Saturday, January 7, 2017

कितने फख्र से लिखा उसने....(क्षणिका)


कितने फख्र से लिखा उसने....

100 साल पुरानी
पड़्पूंझे की दूकान ।

अपनी तरक्की
दो लफ़्ज़ों में बयाँ कर गया वो ।

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हर्ष महाजन

Sunday, January 1, 2017

आँखों के समंदर में जो ख़्वाबों की है कश्ती

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आँखों के समंदर में जो ख़्वाबों की है कश्ती
ले जाए न भर-भर के वो अरमानों की बस्ती ।
अफ़साने जो दिल में हैं न अश्क़ों को ले जाएँ
ये सोच के बचपन की तड़प भूले वो मस्ती ।

--------------हर्ष महाजन

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