दर्दो के सैलाब पलभर में चुन लेती है माँ
आह निकलने से पहले सुन लेती है माँ
सैलाब छुपा लेती है अपनी पलकों में वो
हम चाहे न चाहें खुद सपने बुन लेती है माँ |
_________हर्ष महाजन
आह निकलने से पहले सुन लेती है माँ
सैलाब छुपा लेती है अपनी पलकों में वो
हम चाहे न चाहें खुद सपने बुन लेती है माँ |
_________हर्ष महाजन