Monday, October 31, 2011

लफ़्ज़ों का क्या

लफ़्ज़ों का क्या, यहाँ कलम, कलम की है हम-जुबां
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें पूरी हो जायेगी दास्ताँ |

_______________हर्ष महाजन

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