Sunday, March 4, 2012

ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --4 ----कविता का श्रृंगार

कविता का श्रृंगार--------- एक ज़रूरी हथियार

१.कविता कहानी का रूप नहीं होनी चाहिए --छोटी और अहसासों से भरपूर होनी चाहिए ।
२. कविता की शुरुआत ऐसी होनी चाहिए की पढने वाला बंद सा जाये ।
३. कविता का उन्वान आकर्षित होना चाहिए जो कविता को पढने के लिए उकसा दे।
४.अपने भाव/अहसास जितने कम शब्दों में हों कविता का स्तर उतना बड जाता है ।
५. लम्बी कविता एक कमज़ोर कविताओं में आती है ..जब तक ज़रूरी न हो उसको लम्बा नहीं करना चाहिए ।
अपनी बात कम शब्दों में सुशोबित कानी चाहिए ।

६.jahaaN तक हो सके छंद /अलंकार प्रयोग करने चाहिए ।
७. कहानी नुमा कविता कभी भी अवार्ड के लायक नहीं रहती ।
८. कम शब्दों में जियादा गहरी बात ।
९. कविता सरल होनी चाहिए ...जियादा मुश्कुइल शब्द इस्तेमाल करने से कविता का सत समाप्त हो जाता है ....
१०. कविता वही सरल होती है...जो जिस भाव में कवी ने कही हो और वो अहसास उसी तरह पढने वालों तक पहुंचे ।...ऐसा न हो आप कहना कुछ चाहते हों और पढने वाला कोई और ही मतलब निकाल कर पढ़े ।
११. आखिरी और ज़रूरी बात कवी मन जब भी कविता पेश करता है तो अपने गध्य को पद्य की तरह पेश कर के उसे कविता का रूप देना चाहता है....पर ऐसा होता नहीं है .....ऐसी कवितायें वो होती हैं ...जो रदीफ़ युक्त होती हैं ....ओउर उनके मिसरे छोटे करते वक़्त ये ध्यान रखना चाहिए के पूंछ ऐसी जगह होना चाहिए जैसे आप मंच पर प्रस्तुत कर रहे हैं ।

शुक्रिया

हर्ष महाजन
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1.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --१
1.a
शिल्प-ज्ञान -1 a
2.ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --2 ........नज़्म और ग़ज़ल
3.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --3
5.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --५ .....दोहा क्या है ?
6.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --6
7.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --7
8.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --8
9.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 9
10.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 10
11.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 11
12.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 12
 

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