Friday, April 20, 2012

इंतज़ार-ए-यार में ये चश्म यूँ ही बहते रहे

इंतज़ार-ए-यार में ये चश्म यूँ ही बहते रहे
वो बे-वफ़ा कहते रहे हम बे-वज़ह सहते रहे ।

__________________हर्ष महाजन ।

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