Monday, April 30, 2012

कितने तहजीब से लबों पर जाम चलने लगा

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कितने तहजीब से लबों पर जाम चलने लगा
हुस्न ओउर शबाब अब संग संग जमने लगा ।
कहते थे शोला बदन तो थे वो रंगीं मिजाज़ भी
महसूस हुआ समंदर में सैलाब उबलने लगा ।

___________________हर्ष महाजन ।

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