Wednesday, April 18, 2012

देखो तो !मेरे दुश्मन ने मुझसे कितना अदभुत खेल खेला है

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देखो तो !मेरे दुश्मन ने मुझसे कितना अदभुत खेल खेला है,
मेरी लुत्फ़-ए-ज़िन्दगी को किस तरह इस हिज्र में धकेला है ।
दर्ज किया मेरा राज़-ए-निहां मेरी लखत-ए-जिगर से इस तरह 
कांटे से काँटा निकाल मुझे जताया कि तू किस तरह अकेला है ।

_______________________हर्ष महाजन ।


राज़-ए-निहां=छुपा हुआ राज़

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