Sunday, May 20, 2012

उनके सहारे हमने हर इक शाम गुजारी

..

उनके सहारे हमने हर इक शाम गुजारी
कुछ भी कहे ये ज़माना उनका नाम तारी ।

मुखालिफ दुनिया हमसे प्यार उनसे भारी
खता की सजा में हमने अपनी शाम हारी ।

यकीनन कहर इक दिन आसमां से उतरेगा,
कफन पर खुदा भी करेगा हमारा नाम जारी ।

फुर्सत मिलेगी हमको गम-ए-दौरां से कभी
यकीनन दुआ ये करेंगे हो जाए जाम खारी ।

______________हर्ष महाजन ।

No comments:

Post a Comment