Wednesday, August 8, 2012

किस तरह संजो कर रखेंगे यह स्वर्णिम मुक्तक यहाँ

किस तरह संजो कर रखेंगे यह स्वर्णिम मुक्तक यहाँ
रफ्ता-रफ्ता खुद बे-मिसाल दीवानों में सिमट जायेंगे

............................... .......हर्ष महाजन

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