Tuesday, October 16, 2012

मेरी रग-रग में तेरा हुस्न बसा मेरी ग़ज़ल का तड़का जगह-जगह

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मेरी रग-रग में तेरा हुस्न बसा मेरी ग़ज़ल का तड़का जगह-जगह,
कायनात भी रख दूं सदके तेरे , तेरे हुस्न का चर्चा जगह-जगह ।

मेरा दिल भी निभाये रस्म-ए-वफ़ा, तेरे शिकवे मैं कर दूँ रफा दफा
तेरा चेहरा खुदा भी न पढ़ पाए, मैंने कर दिया पर्दा जगह-जगह |

मेरे दर्द-ए-दिल की दवा है तू , मेरी खुदा से मांगी दुआ है तू ,
मैंने कूच किया रस्मो से सदा, फिर किया है हर्जा जगह-जगह |

तेरे इश्क की खातिर शेर कहे, मेरी गजलों में फिर वो उतर गए,
दुनिया ने भर-भर तंज़ दिए, मेरा गिर गया दर्ज़ा जगह-जगह |

जो वक़्त अभी तक संग गुज़रा, है गुमाँ मुझे इक ख्वाब लगा,
जब हस्ती ये तेरे नाम हुई, फिर झूमा है 'हर्षा' जगह-जगह |


________________________________हर्ष महाजन ।

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