Saturday, April 27, 2013

ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --6

ग़ज़ल शिल्प ज्ञान में हमने अभी तक जो भी सीखा उसको दोहराते हुए आगे बढ़ते हैं ----गज़ल को लेकर हमेशां वाद-विवाद ही हुआ है....बहुत से तकनीकी शब्‍द हैं जिनके बारे में विस्‍तृत जानकारी...तो परिचर्चा मे उठे सवालों  मे ही होती है ..लेकिन मे ये सब मुमकिन नहीं होता ....सबसे पहले तो हम यहाँ दुबारा ये जानने की कोशिश करते हैं  के ग़ज़ल है किस बला का नाम | इसका प्रारंभिक ज्ञान ही हमारे लिए बहुत ज़रूरी है |..

एक अच्छा और क़ामयाब शायर होने के लिये  चार चीज़ें बहुत ज़रूरी हैं विचार, शब्‍द, व्‍याकरण और उसका सभ्य तरीके से प्रस्‍तुतिकरण और आजकल के दौर में या किसी भी दौर में आपके पास....विचार तभी होंगें ....जब आप अपने समय के अनुसार उसकी नब्‍ज़ से परिचित होंगें , माहौल से परिचित होंगे आपके आसपास क्या क्या घटित हो रहा है ...वर्तमान की  क्या मांग है....अब कलयुग में सतयुग तो कहाँ आ पायेगा...। हमें अपने शे'रों में कुछ लिखने के लिए या कहने के लिए आज के दौर की नब्ज़ ही टटोलनी होगी   | चाहे वो भारत के भविष्य की बात हो या एक लाचार नारी के अस्तितित्व की |
मेरे गुरूवर कहते हैं आज के दौर की नब्‍ज़ में जो समा रहा हो वही लोगों की पसंदगी के दायरे में  आयेगा..और लोगों को सोचने पर मजबूर करेगा..|आइये समाज कि दिशा को टटोलें |

दोस्तों ..इस खूबसूरत बज़्म में मैं सभी आने वालों को खुशामदीद कहता हूँ .....और उम्मीद करता हूँ आपको यहाँ हम सबको अपने फन को और पैना करने का मौका मिलेगा ...इस विदा से हम कितना फ़ायदा उठा सकते हैं ..ये सब हमारे खुद पर मुनस्सर है ....|दोस्तों सच पूछो त६ओ ये कोई क्लास नहीं के हम यहाँ अपनी कीमत बढाने के लिए आये हैं | हम सब एक जैसे हैं ....एक दुसरे से सीखने का अवसर प्राप्त करने के लिए इकठा होना चाहते हैं |यहाँ एक एक व्यक्ति का इजाफा और उसके साथ उसकी जानकारी और फन से सभी लोग लाभान्वित होंगे..| मैं उन सभी मित्रगन से जो यहाँ होने वाली परिचर्चा .....(मैं इसे क्लास का नाम नहीं देना चाहूँगा.)..से लाभ उठाना चाहते हैं ...वो भाग ले सकते हैं और मैं यकीनन कह सकता हूँ आप सभी के फन से इस बज़्म कि रौनक में चार चाँद लगेंगे..| मैं उन सभी जानकारों से दरख्वास्त करूंगा जो भी इल्म वो लिए चल रहे हैं अगर हम दोस्तों मे तकसीम करें तो ये विदा उन्हें भी लाभ पहुंचाएगी..फिर जो भी फन यहाँ तैयार होगा उनकी क्र्तियाँ पढने का मज़ा भी दौगुना हो जाएगा |

चलिए अब आते अपने मूल मुधधे पर ......

एक बात जो ख़ास तौर पर हमें याद रखनी चाहिए....कभी भी कोई विद्या छुप कर हासिल नहीं की जा सकती ....विद्या के लिए किताब को हाथ लगाना होता है....उसके सामने प्रकट होना पड़ता है.... ईगो को एक तरफ रखना होता है.....छोटा या बड़ा कोई नहीं है....सब एक सामान है...इस पोस्ट पर बहुत से लोग आये मगर ..छुप कर परिचर्चा में भाग लेने की मंशा से...या उनके लिए वेस्ट आफ टाईम है |

इस बार मैं इस मंच के करन्धारों/एडमिन से अनुरोध है के ....मंच को डिलीट न किया जाए.....बहुत से लोगों की और कवियों की अभूतपूर्व रचनाएं और जानकारियाँ उसमे नष्ट हो जाती हैं...|

मैं सभी से एक बार फिर अनुरोध करता हूँ के शे'र के बारे में जो भी जानकारी है वो टूटे फूटे सब्दों मे ही सही..लेकिन अपने शब्दों मे जानकारी दें.....शायद मैं भी कुछ सीख सकूं |
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दोस्तों मैं यहाँ बार -बार ये कहता हूँ मैं ग़ज़ल का कोई विशेषज्ञ नहीं हूं मैं अपने आपको किसी दावे का हक़दार भी नहीं कहता हूँ फिर भी जितना भी जानता हूं जो ज्ञान खुद और इस नेट जीवन में अपने बड़ों से पाया है ,उसको आप सब के साथ शेयर/बांटने की कोशिश भर है और मैं नहीं जानता कि कितना कामयाब हो पाऊंगा और इस विदा के चलते मैं  आप से भी जो सीख सकता हूँ सीखने की  पूरी कोशिश करूंगा  । मेरा ये प्रयास उन लोगों के लिये है जो सीखने की प्रक्रिया में हैं उन लोगों के लिये नहीं जो ग़ज़ल के बहुत अच्छे जानकार हैं । वे लोग तो मुझे बता सकते हैं कि मैं कहां ग़लती कर रहा हूं । क्यों्कि मैं वास्तव में एक प्रयास कर रहा हूं कि वे लोग जो हिंदी भाषी हैं वे भी ग़ज़ल की ओर आएं | जिन्हें अच्छा लगे वप अपना लें ..जो बुरा लगे उसे जानें दें...| मेरी कोशिश यही है के ग़ज़ल को कैसे एक साधारण तरीके से सिंपल भाषा में कहा जा सके |। शब्द-कोष से मोटे मोटे शब्दर अब लोगों को समझ में ही नहीं आते हैं तो दाद कहां से दें ।
इसलिये ग़ज़ल को उस भाषा में कहा जाए जिस भाषा में जनता समझ पाए तो ही हमारे कहने और लिखने में फायदा है |तभी हम कुछ सीख पायेंगे..| अपनी कृति को लोगों के ज़हन मे कैसे पहुँचाना है...यही प्रस्तुतिकरण होता है |
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दोस्तों आज मेरे साथ वो लोग जो ग़ज़ल कहना चाहते हैं अगर मौसूद रहकर सीखना चाहते हैं वो समझ लें कि कोई ज़रूरी नहीं है उर्दू और फारसी के मोटे मोटे शब्द अपनी कृति में रख कर ही कहें , आप तो उस भाषा में कहें जिस में आम हिन्दुस्तानी बात करता है ।मुझे ये बातें इस लिए करनी पढ़ रही हैं क्सिसी भी क्लास में जाने के लिए हमें पहले अपना ज़हन तैयार करना होगा उसके लिए भूमिका बहुत ज़रूरी है जिस से आप सभी तैयार हो सकें.... ग़ज़ल लिखने के लिये आपको तैयार करने की भूमिका ही बाँध रहा हूँ फिर जब आप तैयार हो जाएंगे तो फिर मैं हम आगे बढ़ेंगे...|
और मैं फिर से कहूँगा..जो भी बहार से झाँकने से अच्छा है के हम सीधे क्लास में इकठे होकर चलें..और हाजिरी देकर साथ चलें...|आपका हमारे साथ होना गर्व का घोषक है ...|
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आज बस मैं इतना कहना चाहूँगा ....मुझे एक शख्स का मेस्सेज आया था ..जिनको ग़ज़ल की व्याकरण का ज्ञान चाहिए था....मैं उनसे अनुरोध करता हूँ....विदा के बीच मे से कुछ भी जानकारी आप चाहें वो ज़रूर मिलेगी..लेकिन उसका फायदा उसके कायदे से लेने में...वरना समझ से परे हो जायेगी |
ग़ज़ल कि व्याकरण का मतलब....,हिंदी में जिसे जिसे छंद कहा गया और जिसको लेकर पिंगल शास्त्रर की रचना की गई जिसमें हिंदी के छंदों का पूरा व्याकरण है । उर्दू में उसे अरूज़ कहा गया । ग़ज़ल में चूंकि बातचीत करने का लहज़ा होता है इसलिये ये छंद की तुलना में बहुत ही जियादा लोकप्रिय हो गया । पिंगल और छन्दक के क़ायदे बहुत मुश्किल होने के कारण और मात्राओं में जोड़ घट को संभलना थोड़ा मुश्‍िकल होने के कारण हिंदी में भी उर्दू का अरूज़ चल पड़ा ।
इस छोटी सी परिभाषित लाईनों से आप जितना अभी तक समझ पाए होंगे...मुझे नहीं मालूम...इसमें हिंदी का ज्ञान भी शामिल है....थोडा ज्ञान कहने वाले को हमेशा मुश्किल मे डाल देता है

हमें सिर्फ ये बाते अभी तक याद रखनी हैं ..जिसे मैं फिर दोहराता हूँ....एक क़ामयाब शायर होने के लिये चार चीज़ें ज़रूरी बहुत हैं विचार, शब्द , व्याकरण और प्रस्तुकतिकरण ।
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1.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --१
1.a
शिल्प-ज्ञान -1 a
2.ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --2 ........नज़्म और ग़ज़ल
3.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --3
4.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --4 ----कविता का श्रृंगार
5.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --५ .....दोहा क्या है ?
7.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --7
8.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --8
9.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 9
10.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 10
11.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 11
12.
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान - 12
 

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