Sunday, April 7, 2013

आज इस जहां में हम शहर नया बनायेंगे

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आज इस जहां में हम शहर नया बनायेंगे,
मौत बाद भी जियें, जहर नया बनायेंगे |

धुन चले तो बेबसी में उठ चले रूह कब्र से
साजे दिल से आज हम, बहर नया बनायेंगे |

कट चले दिलों से लोग अजनबी लगे हैं सब,
दुश्मनों के शहर में, शहर नया बनायेंगे |

जब मिले मुझे कभी ,ख्याल आंसुओं में था
फकत अश्क से भरा नहर नया बनायेंगे |

रात भी पसंद न हो ,न चैन दिन में हो कभी,
आज इस फलक पे हम पहर नया बनायेंगे |

__________________हर्ष महाजन

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