Wednesday, October 30, 2013

शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता

...

शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता,
किसी पत्थर-नुमा दिल पे दो दस्तक तो नरम होता ।
किसी के दूर जाने से..............उम्मीदें टूट जाती हैं ,
पर वो आस भर दिल की उसी से इश्क़ चरम होता ।

_________________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment