Friday, September 5, 2014

अब तक जो मुझसे जुड़ा था पल, इतिहास बन के निकल गया

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अब तक जो मुझसे जुड़ा था पल, इतिहास बन के निकल गया ,
मुझे डर है मुझको भुला न दे........हर शख्स लगता बदल गया |
किस तरह टलेगा ये सिलसिला.....किस तरह दीया रौशन करूँ,
कभी ज़िंदगी जो हुआ किया, अब ख्वाहीशों से भी निकल गया |


______________________हर्ष महाजन

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