Thursday, April 30, 2015

मुद्दतों बाद मुक्त हुआ हूँ तेरी डायरी से ऐ 'हर्ष'

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मुद्दतों बाद............मुक्त हुआ हूँ तेरी डायरी से ऐ 'हर्ष',
महफ़िल-ए-ग़ज़ल हूँ मगर जुबां पर उतरने से डरता हूँ |


_________________हर्ष महाजन

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