Tuesday, June 2, 2015

चाँद छुप जाएगा घूंघट तो हटाकर देखो

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चाँद छुप जाएगा घूंघट तो हटाकर देखो,
शाम तन्हाई में आँखें तो मिलाकर देखो |
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मेरी आवाज़ रुला देगी ज़माने भर को,
गर वो जानेंगे मैं ज़िंदा हूँ सुनाकर देखो |
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मैं ही दौलत हूँ तेरी याद दिलाओ उनको,
लोग मानेंगे ज़रूर तुम तो बताकर देखो |
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मेरी हर सोच 'अदा ज़ुल्म तुम्हीं से' मुब्तिला,
उनको नज्में मिरी ग़ज़लें तो दिखाकर देखो |
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जो भी अफ़साने बने लोग मज़ा लेते हैं,
गर हो अखबार पुरानी तो उठाकर देखो |
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यूँ भी आसान नहीं इश्क छुपाना यारो,
ये सफ़र आँख से दिल तक तो निभाकर देखो |

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हर्ष महाजन

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