Sunday, January 1, 2017

आँखों के समंदर में जो ख़्वाबों की है कश्ती

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आँखों के समंदर में जो ख़्वाबों की है कश्ती
ले जाए न भर-भर के वो अरमानों की बस्ती ।
अफ़साने जो दिल में हैं न अश्क़ों को ले जाएँ
ये सोच के बचपन की तड़प भूले वो मस्ती ।

--------------हर्ष महाजन

221 1221 1221 112

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